उत्तर प्रदेश: सोशल मीडिया पर मजाक में भी एक भी गलत पोस्ट आपको जेल की हवा खिला सकती ह। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले अफवाह फैलाने वाले लोगों को सबक सिखाने की व्यवस्था कर दी ह। चुनाव में माहौल को खराब करने के लिए बहुत से लोग अफवाहें फैलाते हैं।
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले लोगों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने इंटेलिजेंस हेड क्वार्टर में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर बनाने जा रही है। शासन ने इसके लिए अनुमति दे दी है। इंटेलिजेंस विभाग कानून-व्यवस्था को खराब करने वाली हर सोशल मीडिया मैसेज और पोस्ट की निगरानी करेगा।
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अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने जानकारी दी है कि शासन ने सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर बनाने को हरी झंडी दे दी है। इस काम के लिए न्यूज एक्सट्रेक्टर सॉफ्टवेयर और डाटाबेस्ड एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर की स्थापना की जाएगी।
प्रदेश सरकार के इस मॉनिटरिंग सेंटर का मैनेजमेंट नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्मार्ट गवर्नमेंट संभालेगी यह केंद्र सरकार की एक संस्था है।
यह केंद्र और राज्य सरकार के विभागों को स्मार्ट गवर्नमेंट के तरीके बताती है। प्रशासनिक सुधार विभाग ने इसकी स्थापना की सिफारिश की थ। केंद्र के इलेक्ट्रानिक्स और आईटी मंत्रालय ने 2002 में कंपनी अधिनियम के तहत इसकी स्थापना की थी।
अवस्थी ने बताया कि, मॉनिटरिंग सेंटर के माध्यम से सोशल मीडिया पर फैलने वाले अफवाहों को समय से रोका जा सकेगा। कानून-व्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले पोस्ट मिलने पर कार्रवाई भी की जाएगी। यूपी के पूर्व डीजीपी एके जैन का कहना है कि कुछ राज्यों के इंटेलिजेंस विभाग के पास खुद का सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल है।
कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए प्रदेश सरकार का यह कदम बहुत महत्वपूर्ण है। पुलिस विभाग अपने स्तर पर सोशल मीडिया पोस्ट की मॉनिटरिंग करता रहता है, लेकिन खुफिया विभाग व्यापक नजरिए से निगरानी करेगा तो सोशल मीडिया के माध्यम से कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वालों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं हो पाएंग।
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इसी साल 14 जून को गाजियाबाद के लोनी इलाके में अब्दुल समद नाम के एक बुजुर्ग से मारपीट और अभद्रता करने का वीडियो वायरल हो गया था। इस वायरल वीडियो को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी. इसके कारण ट्विटर सहित 9 पर FIR दर्ज की गई थी।
पुलिस के अनुसार ट्विटर ने इस वीडियो को मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग नहीं दिया था। पीड़ित ने अपनी तहरीर में जय श्रीराम के नारे लगवाने और दाढ़ी काटने की बात नहीं बताई थी।