हरियाणा के नूंह से भड़की सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में गुरुग्राम के आने से यहां के उद्योग संकट में आ गए हैं। हिंसक घटनाएं शुरू होते ही यहां से विशेष समुदाय के श्रमिकों ने पलायन शुरू कर दिया था, जिससे उद्योग अब विकट परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरुग्राम के उद्योगों में 40 फीसदी मैनपावर की कमी हो गई है और उत्पादन पर विपरीत असर पड़ रहा है। उद्योग ही नहीं गुरुग्राम की रिहायशी कॉलोनियों और सोसायटियों से समुदाय विशेष के घरलू नौकर व कामकाजी महिलाओं के पलायन से भी लोगों की दिनचर्या पर असर पड़ा है।
हालात ऐसे हैं कि शहर से पलायन कर गए लोगों को वापस लाने के लिए उद्योग जहां श्रमिकों को वापस लाने के लिए वेतन बढ़ौतरी और बोनस की पेशकश कर रहे हैं, वहीं घरेलू नौकरों और रसोइयों को भी रिहायशी कॉलोनियों और सोसायटियों में पहले से ज्यादा वेतन ऑफर किया जा रहा है।
1,500 कपड़ा इकाइयां ज्यादा प्रभावित
एक रिपार्ट में कहा गया है कि गुरुग्राम में मुस्लिम प्रवासी हाल की सांप्रदायिक झड़पों से प्रभावित होकर या तो वे चले गए हैं या घरों में छिपे हुए हैं। पलायन से खासकर मानेसर, खांडसा, सोहना और पटौदी जैसे इलाकों में लगभग 1,500 इकाइयों वाले कपड़ा उद्योग को बड़ा झटका लगा है। बताते हैं कि खांडसा और मानेसर की कपड़ा इकाइयों से श्रमिकों का सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। उद्योगपतियों का कहना है कि पलायन कर श्रमिक समय पर काम पर नहीं लौटे तो उन्हें भारी नुक्सान उठना पड़ सकता है। हालांकि बेहतर वेतन और बोनस की भी पेशकश की जा रही है।
घरेलू नौकर और रसोइयों के बढ़े वेतन
हिंसा के बाद समुदाय विशेष की मेड और रसोइयों ने पलायन कर लिया हैं। रिहायशी कॉलोनियों और सोसायटियों में उनके बदले कामकाजी महिलाएं, घरेलू नौकर और रसोइए मुंह मांगा वेतन मांग रहे हैं। यहां पर मेड को पहले 2000 से 2200 रुपए प्रति माह घर की साफ-सफाई और बर्तन धोने की एवज में देने पड़ते थे। इनके पलायन के बाद अब मेड को 3000 रुपए देने पड़ रहे हैं। सुबह- शाम खाना बनाने वाली कुक को अब 7000 रुपए प्रति माह देने पड़ रहे हैं, जबकि पहले कुक 5500 रुपए प्रतिमाह लेते थे।
श्रमिकों के पलायन को रोकने की मांग
गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष जी. एन. मंगला का कहना है कि गुरुग्राम में लगभग 3,000 पंजीकृत औद्योगिक इकाइयां हैं। उनका कहना है कि दिल्ली सीमा के पास स्थित उद्योग विहार में स्थित उद्योग ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं क्योंकि उनके कार्यबल में स्थानीय निवासी शामिल हैं, इसलिए अन्य इकाइयां प्रमुख रूप से प्रभावित हुई हैं। इस बीच, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के हरियाणा चैप्टर ने क्षेत्र में हालिया सांप्रदायिक झड़पों के बाद मानेसर क्षेत्र से मुस्लिम श्रमिकों के पलायन को रोकने के लिए औद्योगिक संघों के हस्तक्षेप की मांग की है।