नई दिल्ली: दिल्ली के हाई कोर्ट ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) को निर्देश दिया है कि वह भारत राजधानी दिल्ली में अपने स्कूलों के शिक्षकों के वेतन में विलंब को लेकर उन्हें हर महीने 10,000 रुपये अतिरिक्त भुगतान करे।
उल्लेखनीय है कि जीएसजीएमसी संचालित स्कूलों में कई शिक्षकों को इस साल जनवरी से वेतन नहीं दिया गया है।
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जस्टिस सी. हरि शंकर ने याचिकाओं के लंबित रहने तक DSGMC और इसके स्कूलों को वेतन एवं अन्य मानदेय जारी रखने का निर्देश दिया, जिसे याचिकाकर्ता (शिक्षक) मासिक आधार पर प्राप्त करने के हकदार हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान 27 अप्रैल को अदालत ने यह आदेश दिया है। शिक्षकों की इन याचिकाओं पर अब 13 मई को आगे सुनवाई होगी।
इन याचिकाओं के जरिये सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने की मांग की है। शिक्षकों ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें जनवरी 2020 और मार्च 2020 के बीच वेतन नहीं मिला है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उसने 22 अगस्त 2019 के अपने आदेश में कहा था कि वेतन में विलंब होने की स्थिति में स्कूलों को याचिकाकर्ताओं को हर महीने 10,000 रुपये अतिरिक्त देना होगा।
इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रबंधकों की ओर से वकील जसमीत सिह ने दलील दी कि कई छात्रों के अभिभावकों ने अभी तक फीस नहीं दी है और इसी वजह से शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं हो सका।
इसके विपरीत, शिक्षकों ने दावा किया कि स्कूलों ने मार्च 2020 तक का शिक्षण शुल्क छात्रों से ले लिया है, लेकिन वेतन का भुगतान करने से बचने के लिए पैसे की कमी की दलील दी जा रही है।
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दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल बैंच ने इसी तरह के विषयों में 24 अप्रैल को निर्देश दिया था कि वेतन का बकाया दो हफ्तों में भुगतान किया जाए।
ये विषय DSGMC संचालित पांच स्कूलों से जुड़े हुए थे। अदालत ने यह भी कहा था कि वेतन का भुगतान नहीं किए जाने को किसी तरह से तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता, जबकि छात्रों से फीस ली जा रही है।