नई दिल्ली: राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने महारष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी का आग्रह यानि रेकवेस्ट स्वीकार कर लिया है। अब महाराष्ट्र विधान परिषद में खाली नौ सीटों को भरने के लिए चुनाव की संभावना तलाशने के लिहाज से शुक्रवार को चुनाव आयोग की मीटिंग होगी। देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग का फैसला किया है।
ध्यान रहे कि राज्यपाल कोश्यारी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्य विधान परिषद के लिए नामित करने की कैबिनेट की सिफारिश को दरकिनार करते हुए आयोग से खाली सीटों पर जल्द-से-जल्द चुनाव कराने का आग्रह यानि रेकवेस्ट किया है।
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इससे पहले महारष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को ही पीएम मोदी से बात की थी और उनसे मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। उद्धव ठाकरे अभी महाराष्ट्र विधानसभा या विधान परिषद में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।
संवैधानिक नियमों के मुताबिक मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह महीने के अंदर किसी-न-किसी सदन की सदस्यता लेना उनके लिए अनिवार्य है। उन्हें 27 मई से पहले तक किसी भी सदन का सदस्य बनना होगा।
स्वाभाविक है कि अभी विधानसभा का चुनाव नहीं होने वाला और कोरोना संकट के कारण विधान परिषद के खाली नौ सीटों का चुनाव भी लटक गया है। अगर यह संकट नहीं आता तो इन नौ सीटों के लिए 24 अप्रैल को चुनाव हो जाते और उद्धव ठाकरे के लिए कोई समस्या नहीं होती।
योजना के मुताबिक, उद्धव ठाकरे इस चुनाव में प्रत्याशी होते और जीत भी जाते, लेकिन कोविड 19 चुनाव आयोग ने कोरोना संकट के मद्देनजर चुनाव स्थगित कर दिया
इस परिस्थिति में एक उपाय यह बचता है कि राज्यपाल के पास विधान परिषद में जिन दो पदों पर विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों को नामित करने की जो संवैधानिक शक्ति है, उसका इस्तेमाल करते हुए एक सीट पर उद्धव को नामित कर दें।
चूंकि राज्यपाल अपनी इस शक्ति का इस्तेमाल राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर ही करते हैं, इसलिए महाराष्ट्र कैबिनेट ने उद्धव ठाकरे के नाम का प्रस्ताव दो बार भेजा। हालांकि, लेकिन राज्यपाल ने उस पर कोई फैसला नहीं किया।
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इस परिस्थिति में एक उपाय यह बचता है कि राज्यपाल के पास विधान परिषद में जिन दो पदों पर विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों को नामित करने की जो संवैधानिक शक्ति है, उसका इस्तेमाल करते हुए एक सीट पर उद्धव को नामित कर दें।
चूंकि राज्यपाल अपनी इस शक्ति का इस्तेमाल राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर ही करते हैं, इसलिए महाराष्ट्र कैबिनेट ने महारष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम का प्रस्ताव दो बार भेजा। हालांकि, लेकिन राज्यपाल ने उस पर कोई फैसला नहीं किया।