सहारनपुर: मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच शनिवार को देवबंद में जमीयत उलेमा ए हिंद की बैठक हुई। इसमें मौलाना महमूद मदनी देश में चल रहे विवाद पर भावुक हो गए। उन्होंने इसे देश के लोगों को बांटने वाला करार दिया। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भावुक स्वर में कहा कि हमें अपने ही देश में अजनबी बना दिया गया है।
हम हर जुल्म सह लेंगे लेकिन वतन पर आंच नहीं आने देंगे। देवबंद में देश में चल रहे विवादों, खासकर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर बैठक में कई अहम बातें कही गई।
इसमें मुस्लिम पक्ष की ओर से तमाम विवाद पर अपना पक्ष तय किए जाने की बात कही जा रही थी। मौलाना मदनी ने अपनी तकरीर में देश की बात की। सामाजिक एकता पर जोर दिया। साथ ही, मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर जारी महाभारत पर दुख भी जताया।
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जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश में आज हालात मुश्किल हैं। उन्होंने कहा कि देश में अखंड भारत की बात तो होती है, लेकिन हालात ऐसे हो गए हैं कि मुसलमानों को अपनी ही बस्ती में चलना तक मुश्किल हो गया है।
देश में नफरत के पुजारी बढ़ गए हैं। उन्होंने शेर पढ़ा- जो घर को कर गए खाली वो मेहमां याद आते हैं। इसके बाद रुंधे गले से कहा कि हमलोग ऐसे मुश्किल हालात में हैं, जिसकी कल्पना नहीं कर सकते।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हम किसी ऐक्शन प्लान पर नहीं चलेंगे। हालात मुश्किल हैं। लेकिन, इस समय भी मायूसी की जरूरत नहीं है। हम जुर्म सह लेंगे लेकिन देश पर आंच नहीं आने देंगे। हम हर चीज से समझौता कर सकते हैं, पर देश से नहीं। इस बात को हर किसी को समझने की जरूरत है।
मौलाना मदनी ने कहा कि आज के हालात काफी मुश्किल हैं। हमारा दिल जानता है कि हम किस मुश्किल दौर में हैं। हमारी स्थिति तो उस व्यक्ति से भी खराब है, जिसके पास कुछ नहीं है। हमारी स्थिति का अंदाजा कोई और क्या लगा सकता है। मुश्किलों को झेलने के लिए हौसला चाहिए, ताकत चाहिए। हम कमजोर लोग हैं। कमजोरी का यह मतलब नहीं है कि हमें दबाया जाए।
मौलाना महमूद मदनी कहा कि जमीयत उलेमा का फैसला है कि हम अमन और शांति के संदेशवाहक हैं, तो ठीक है। अगर जमीयत उलेमा का यह फैसला है कि हम जुल्म को बर्दाश्त कर लेंगे। अगर जमीयत उलेमा का यह फैसला है कि हम दुखों को सह लेंगे, लेकिन अपने मुल्क पर आंच नहीं आने देंगे। तो जमीयत का यह फैसला कमजोरी की वजह से नहीं, बल्कि हमारी ताकत की वजह से है।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हमें ताकत हमारे पैगंबर से मिली है। हम हर चीज से समझौता कर सकते हैं, लेकिन अपने इमान से समझौता नहीं कर सकते। हमारा इमान हमें सिखाता है कि हमें मायूस नहीं होना है।
उन्होंने कहा कि हमें उनके ऐक्शन प्लान पर नहीं चलना है। हमें अपना मेल-जोल बढ़ाना होगा। मौलाना ने कहा कि वे लोग मुल्क से गद्दारी कर रहे हैं जो विवाद पैदा करते हैं। आपसी भाईचारे को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि मुल्क के हालात और उस पर सरकारों की खामोशी अफसोसनाक है। यह स्थिति बदलनी चाहिए। देश की चिंता करने वाले, फिक्र करने वाले लोग हैं, उन्हें इस स्थिति को संभालना होगा। मुल्क में जो बांटने वाला वातावरण है, उसे खत्म करना होगा।
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नफरत के खेल को बंद करना और करवाना होगा। मौलाना ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो जमीयत जेल भरने के लिए भी तैयार है। साथ ही, उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद, ताजमहल और मथुरा मस्जिद विवाद पर आज रात या कल रिसोल्यूशन आएगा।
जमीयत उलेमा ए हिंद की बैठक के पहले दिन तीन प्रस्ताव पास किए गए। पहला प्रस्ताव विधि आयोग की वर्ष 2017 की 267 वीं रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुरूप तत्काल कदम उठाए जाने की मांग की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिं!सा के लिए उकसाने वाले लोगों को दंडित करने के लिए एक अलग कानून का मसौदा तैयार किया जाए।
अब 14 मार्च को हर साल ‘इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। जमीयत की ओर से एक विभाग बनाया गया है, यह विभाग भारतीय मुसलमानों के लिए न्याय एवं अधिकारिता की पहल, अन्याय और दमन का मुकाबला करने की रणनीति विकसित करेगा। इसके लिए यह विभाग जमीन पर कार्य करने का प्रयास करेगा।