राष्ट्रपति पद की रेस में रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप को हराने के लिए ज़रूरी 270 इलेक्टोरल वोट का आँकड़ा जो बाइडन ने पार कर लिया है। लेकिन अब इसके बाद क्या होगा? इसका मतलब ये नहीं है कि इसके बाद बाइडन को तुरंत अपना सामान 1600 पेंसिल्वेनिया एवेन्यू में बने व्हाइट हाऊस ले जाना है। ऐसा करने से पहले अभी और भी काफ़ी कुछ होना बाक़ी है।
अमेरिका में चुनाव प्रक्रिया यूं तो सुचारू रूप से संपन्न होती है लेकिन इस बार मामला उलझा हुआ है। चुनाव में वोटों की गिनती को लेकर ट्रंप क़ानूनी चुनौती देने जा रहे हैं। अमेरिकी संविधान के अनुसार आधिकारिक तौर पर नए राष्ट्रपति का कार्यकाल 20 जनवरी की दोपहर को शुरू होता है।
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इससे पहले राजधानी वॉशिंगटन डीसी में एक ख़ास समारोह आयोजित किया जाता है जिसे इनॉगरेशन कहते हैं। इस समारोह में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस नए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं। उम्मीद की जा सकती है कि हर बार की तरह 20 जनवरी 2021 को जो बाइडन और कमला हैरिस शपथ लेंगे।
हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी हैं। अगर कार्यकाल ख़त्म होने से पहले मौजूदा राष्ट्रपति की मौत हो जाती है या फिर वो इस्तीफ़ा दे देते हैं तो उप-राष्ट्रपति को जल्द से जल्द राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाती है। चुनाव के नतीजे आने के बाद से लेकर राष्ट्रपति का कार्यकाल शुरू होने का वक़्त यानी 20 जनवरी तक के समय को प्रेजिडेन्शियल ट्रांज़िशन कहते हैं।
इस दौरान चुने गए राष्ट्रपति एक ट्रांज़िशन टीम बनाते हैं जो इनॉगरेशन के तुरंत बाद काम शुरू करने के लिए ज़रूरी तैयारी करती है। जो बाइडन और कमला हैरिस ने पहले ही एक ट्रांज़िशन वेबसाइट बना कर जानकारी दी है कि वो आने वाले दिनों की तैयारी में जुट गए हैं।
वेबसाइट पर लिखा है, “देश के सामने आज महामारी से लेकर आर्थिक मंदी तक और जलवायु परिवर्तन से लेकर नस्लीय अन्याय तक कई गंभीर मुद्दे हैं। ट्रांज़िशन टीम तेज़ी से तैयारी कर रही है ताकि पहले दिन से ही बाइडन-हैरिस प्रशासन काम शुरू कर सके।”
दोनों नेता कैबिनेट के सदस्य चुनेंगे और नीतियों और प्रशासन के बारे में चर्चा करेंगे। इस टीम के सदस्य संघीय एजेंसियों से संपर्क करते हैं और अलग-अलग काम के लिए समयसीमा और बजट जैसी चीजों के साथ-साथ कौन से करियर स्टाफ़ क्या करते हैं इस पर जानकारी इकट्ठा करते हैं। वो नए कर्मचारियों के लिए ज़रूरी जानकारी इकट्ठा करते हैं और उसके बाद इनॉगरेशन की तैयारियों में भी मदद करते हैं। इनमें से कुछ बाद में राष्ट्रपति या उप-राष्ट्रपति के साथ काम करते हैं।
साल 2016 में ओवल ऑफ़िस में बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाक़ात हुई थी, उस वक़्त की तस्वीरों में स्पष्ट दिख रहा था कि दोनों नेताओं के बीच कम गर्मजोशी थी, अभी भी दोनों नेताओं के रिश्तों में वो गर्मजोशी नहीं दिखती। जो बाइडन ने अपनी ट्रांज़िशन टीम बनाने में महीनों का वक़्त लगाया है। उन्होंने इसके लिए ज़रूरी पैसा जुटाया है और पिछले सप्ताह उन्होंने इसके बारे में एक वेबसाइट भी लॉन्च की।
हां, बिल्कुल, जिन राज्यों में “बाइडन ने चुनाव जीतने” का दावा किया है वहां ट्रंप वोटर फ्रॉड का आरोप लगा चुके हैं और पहले ही कोर्ट में जाने की बात कह चुके हैं. हालांकि उन्होंने इन आरोपों से जुड़ा कोई सबूत नहीं पेश किया है।
बताया जा रहा है कि उनके अभियान से जुड़े अधिकारी इस मामले में देश के बड़े वकीलों से संपर्क कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि कुछ डाक वोटों को गिना न जाए. ये मामला पहले राज्यों की अदालत में पेश होगा जिसके बाद ये सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकता है।
हालांकि क़ानून के जानकारों का मानना है कि इस तरह के मामलों से चुनाव के नतीजों पर फ़र्क नहीं पड़ेगा। ट्रंप के अभियान से जुड़े अधिकारियों की गुज़ारिश के बाद कुछ राज्यों में दोबारा मतगणना होने की उम्मीद है, लेकिन वहां भी परिणाम बदलने की उम्मीद कम ही है।
डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि वह चुनाव के नतीजों को कोर्ट में चुनौती देंगे। अगर वो अपनी कोशिश में कामयाब नहीं हुए तो उन पर सार्वजनिक तौर पर हार स्वीकार करने का दवाब बढ़ने लगेगा। लेकिन क्या हार स्वीकार करना उनके लिए ज़रूरी है? अमेरिका की राजनीति में चुनाव हार चुके उम्मीदवार, चुनाव जीत कर आए उम्मीदवार को फ़ोन पर बधाई देते हैं और अपनी हार मानते हैं. लेकिन ये बाध्यकारी नहीं है।
साल 2018 में गवर्नर पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार स्टेसी अब्राम्स ने चुनाव में वोटर फ्रॉड और डराने-धमकाने का आरोप लगाया और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ब्रायन कैंप ने हार स्वीकार नहीं की।
हालांकि हाल के सालों में राष्ट्रपति पद की दौड़ में ऐसा कभी नहीं हुआ. फ़िलहाल जॉर्जिया में क़ानूनी तरीके से चुनाव के नतीजों की घोषणा की जाएगी, लेकिन तब तक सरकारी कामकाज जैसे चल रहा है वैसे ही चलता रहेगा, चाहें ट्रंप कुछ भी करें।
ये बात सच है कि न तो ट्रंप को अपनी हार स्वीकार करने की ज़रूरत है और न ही चेहरे पर मुस्कान लेकर बाइडन के इनॉगरेशन में शिरकत करने की ज़रूरत है, लेकिन क़ानूनी तौर पर उनकी कुछ ज़िम्मेदारियां हैं। बाइडन की टीम ज़िम्मेदारी लेने की शुरुआत कर सके इसके लिए उन्हें अपने प्रशासन को इजाज़त देनी होगी. ट्रंप के अधिकारियों के अनुसार वो पहले ही ये काम कर चुके हैं।
कमला हैरिस, देश की पहली महिला उप-राष्ट्रपति होंगी. वो अपने कर्मचारियों की नियुक्ति करेंगी और पिछले प्रशासन से अपने काम और कार्यकाल के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करेंगी। उप-राष्ट्रपति का दफ्तर उपराष्ट्रपति व्हाइट हाऊस के वेस्ट विंग में हैं, हालांकि वो वहां नहीं रह सकते।
पारंपरिक तौर पर वो अमेरिकी नौसेना की ऑब्ज़रवेटरी के परिसर में रहते हैं जो शहर के उत्तर-पश्चिम में है, जो व्हाइट हाऊस से लगभग 10 मिनट की दूरी पर है। उनके पति डगलस एम्पहॉफ पेशे से एक वकील हैं और एंटरटेन्मेंट जगत के साथ जुड़े हैं। पहली शादी से उनके दो बच्चे हैं- कोल और एला. हैरिस बताती हैं कि दोनों बच्चे उन्हें प्यार से “मोमाला” कहते हैं।
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कैसा होता है राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास?
अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास व्हाइट हाऊस में पहली बार जॉन एडम्स और उनकी पत्नी राष्ट्रपति के तौर पर शिफ्ट हुए थे. उस वक्त इस इमारत का काम पूरा नहीं हुआ था। हाल के दिनों में ये उम्मीद की जाती है कि जो भी नए राष्ट्रपति यहां आएंगे वो अपनी सुविधा के अनुसार पुराना फर्नीचर बदलेंगे. इसके लिए कांग्रेस अलग से पैसों की व्यवस्था करती है।
व्हाइट हाऊस में लोगों के रहने के लिए कुल 132 कमरे हैं और 35 बाथरूम हैं। फैशन जगत से ताल्लुक रखने वाली डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप ने यहां कई बदलाव किए। व्हाइट हाऊस में होने वाले ख़ास समारोह और त्योहारों के आयोजनों की ज़िम्मेदारी उन्हीं की ज़िम्मेदारी थी।