उत्तराखंड में हल्द्वानी शहर में कड़ाके की ठण्ड में एक बड़ी आबादी महिलाओं और बच्चों के साथ धरने पर बैठे हुए हैं। पिछले दिनों एक नोटिस के बाद ये आंदोलन शुरू हुआ है। हाई कोर्ट ने इसे रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण माना है। कड़ाके की सर्दियों के बीच 50 से 60 हज़ार की आबादी को हटाने के लिए सात हज़ार पुलिसकर्मियों का इंतज़ाम किया जा चुका है।
हल्द्वानी शहर के एक दो नहीं बल्कि लगभग 4300 घर उजाड़ने की तैयारी है। लोगों का कहना है कि अतिक्रमण बता कर हम से हमारे घर छीने जा रहे हैं। सभी लोग कई दशक से लोग जिन घरों में रह रहे हैं अब उसे तोड़ा जायेगा।
स्थानीय निवासी मोहम्मद शाबान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम इतनी ठण्ड में कहाँ जाएंगे, ये हमारा घर है। मोहम्मद ताहिर बताते हैं कि वह पिछले 40 से रह रहे हैं, आज उनको हटाया जा रहा है। हर कोई दिलासा दे रहा है कि हम प्रबंध करेंगे लेकिन कब होगा ये मालूम नहीं।
सय्यद इज़्ज़त बताते हैं कि रेलवे ये प्रकरण इस कड़ाके की ठण्ड में किया जा रहा है, मासूम बच्चे हैं वे कहाँ जाएंगे। इस के अलावा इसके अंतर्गत मस्जिद, मंदिर, स्कूल समेत सभी के घर हैं। सरकार से अपील है कि इनके घर उजाड़ने से पहले इनको बसाने का इंतेज़ाम किया जाए।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा जारी एक आदेश के बाद ये फैसला किया गया है। नोटिस के बाद घर खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया जाएगा। नैनीताल जिले के अधिकारियों के अनुसार क्षेत्र से कुल 4,365 घर अतिक्रमण हटाए जाएंगे। कुछ लोग वहां दशकों से रह रहे हैं और अदालत के आदेश का विरोध कर रहे हैं।
जिला प्रशासन ने पुलिस फोर्स के रखने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम गौलापार, प्रसार प्रशिक्षण केन्द्र बागजाला, मिनी स्टेडियम हल्द्वानी और गुरु तेगबहादुर स्कूल में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। इन स्थानों में पुलिस फोर्स के रुकने के साथ ही खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है।
बता दें कि हाल ही में हाईकोर्ट ने वनभूलपुरा गफूर बस्ती में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्तीकरण करने के आदेश दिए थे। प्रशासन पुराने पिलरों की जांच करेगी जहां पिलर हटाए गए होंगे वहां पेंट से लाल निशान लगाए जाएंगे। इसके बाद स्पष्ट हो जाएगा कि कितने क्षेत्र का अतिक्रमण तोड़ा जाएगा।