नई दिल्ली: इस साल बजट में सरकार आम और खास को बड़ी राहत दे सकती है। इसमें कोरोना संकट में बीमा के महत्व को देखते हुए इसपर छूट बढ़ाने पर भी विचार हो सकता है।
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आयकर के दायरे को बढ़ाने और कर स्लैब में परिवर्तन की मांग के अलावा कानूनी विवाद कम करने और नई फर्मों को कर के दायरे में लाने पर भी विचार हो रहा है।
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सूत्रों का कहना है कि कारोबार सुगमता को बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को और स्पष्ट किए जाने की उम्मीद इस बजट में की जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी 2022 को बजट पेश करेंगी।
कोरोना महामारी के चलते पिछले दो साल में अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव रहा है। इसमें स्वास्थ्य पर जोर देते हुए उपभोक्ताओं मे स्वास्थ्य बीमा को तरजीह देना शुरू किया है, जिससे उनकी जेब पर बोझ बढ़ा है। वहीं, क्लेम बढ़ने से कंपनियों पर दबाव बढ़ा है।
सरकार कर अनुपालन बोझ कम करके कारोबार सुगमता बढ़ाना चाहती है। इससे लंबी अवधि में टैक्स के रूप में ज्यादा राजस्व मिलने का राह बनेगी क्योंकि कारोबार सुगमता बढ़ने और कर अनुपालन कम होने से अधिक से अधिक लोग कारोबार में आएंगे।
बजट में करदाताओं को राहत देने के लिए जीवन बीमा को नई कैटेगरी बनाआयकर की धारा से बाहर किया जा सकता है। मौजूदा समय तक छोटी बचत जैसे पीपीएफ, ईपीएफ और होम लोन के मूलधन के साथ जीवन बीमा प्रीमियम आयकर की धारा 80सी में कवर होते हैं। लेकिन इन सबकी अधिकतक सीमा सिर्फ 1.50 लाख रुपये है।
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इसे लेकर उम्मीद की जा रही है कि सरकार ऐसा फैसला करेगी जिससे उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिले। विशेषज्ञों का कहना है जीवन बीमा को 80सी से बाहर करने से इसकी पहुंच और ज्यादा बढ़ेगी। टैक्स सेविंग के लिए अलग कैटेगरी होने से लाइफ इंश्योरेंस की मांग और बढ़ेगी।
होम लोन पर सामान्य स्थिति में दो लाख रुपये की ब्याज छूट मिलती है। जबकि पहला मकान खरीदने की स्थिति में सरकार 1.50 रुपये की अतिरिक्त टैक्स छूट अभी दे रही है।जानकारों का कहना है कि उपभोक्ता और उद्योग की चुनौतियों को देखते हुए सरकार 1.50 लाख रुपये की राहत को एक साल और बढ़ा सकती है।