नई दिल्ली: कोरोना वायरस की गंभीरता और दुनियाभर के विकसित देशों की त्रासदी को देखते हुए सरकार ने रिस्क लेते हुए लॉकडाउन का बड़ा फैसला लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में जनता से इसके लिए माफी भी मांगी है।
हालांकि दुनियाभर के उदाहरण को देखकर लगता है कि यह कदम उठाना बेहद जरूरी था। फिर भी प्रधानमंत्री मोदी ने संवेदना जताते हुए कहा कि लोगों की परेशानी के लिए वह देशभर की जनता से माफी मांगते हैं।
एम मोदी ने कहा, ‘दुनिया के हालात देखने के बाद लगता है कि आपके परिवार को सुरक्षित रखने का यही एक रास्ता बचा है। बहुत से लोग मुझसे नाराज भी होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है। आपको जो असुविधा हुई है, इसके लिए में क्षमा मांगता हूं।
लॉकडाउन के बाद देशभर से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जो कि किसी का भी दिल पिघला सकती हैं। शहरों में दिहाड़ी मजदूरी पर काम करने वाले लोग पैदल ही गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें: डॉक्टर कफील ने PM मोदी से कहा- मुझे बाहर निकालिए, देश की सेवा करना चाहता हूँ।
लोग हजार किलोमीटर की भी दूरी की परवाह किए बिना छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ पैदल ही निकल पड़े हैं। ऐसे में मीडिया में लगातार ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं जो बेहद संवेदनशील और दर्दनाक हैं।
लॉकडाउन के बाद देशभर से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं,शनिवार से ही दिल्ली के आनंद विहार और धौला कुआं में लोगों का बड़ा हुजूम देखने को मिला। उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों ने कुछ बसों का इंतेज़ाम किया है जिससे कि लोगों को उनके गांवों तक पहुंचाया जा सकता है ।
हालांकि इसमें खतरा यह है कि भीड़ की वजह से संक्रमण आक्रामक हो सकता है। राज्य सरकारें लगातार लोगों को समझा रही हैं कि जहां हैं वहीं रहें क्योंकि लोगों के खाने और रहने का इंतेज़ाम किया जाएगा।
पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं आपकी परेशानी समझता हूं देश को कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई के लिए, ये कदम उठाये बिना कोई रास्ता नहीं था। कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई, जीवन और मृत्य के बीच की लड़ाई है और इस लड़ाई में हमें जीतना है।’
मोदी ने कहा, ‘बीमारी और उसके प्रकोप से शुरुआत में ही निबटना चाहिए, बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है। आज पूरे हिंदुस्तान का हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ लोग जो कोरोना के संदिग्ध हैं उनके साथ भी बुरा व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टैंसिंग बनाने की जरूरत है न कि इमोशनल डिस्टैंस बनाने की।
ये भी पढ़ें: लॉकडाउनः ओडिशा में जिला प्रशासन ने घर-घर पहुंचाया राशन, कायम रहा सोशल डिस्टेंस
वे लोग आपको बचाने के लिए ही क्वारंटाइन में हैं। इसलिए उनके प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है। उनका सहयोग करने की बहुत आवश्यकता है। कोरोना से लड़ने का तरीका सोशल डिस्टैंसिंग है लेकिन इसका मतलब सोशल इंटरैक्शन को खत्म करने का नहीं है।
यह समय रिश्तों को तरोताजा करने का है। यह समय हमें बताता है कि सोशल डिस्टैंसिंग घटाओ और इमोशनल डिस्टैंस घटाओ और देश बचाओ।