राष्ट्र ध्वज तिरंगा दुनिया में देशवासियों की पहचान है। राष्ट्र ध्वज तिरंगा दुनिया में देशवासियों की पहचान है। तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक में मान्यता मिली थी।
तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक में मान्यता मिली थी। अपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की अभिकल्पना स्वतंत्रता प्रेमी देशभक्त पिंगली वेकैंया जी की देन है।
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यह ध्वज आज हर भारतवासी का आन, बान, शान है। तिरंगा व देशप्रेम का भाव हर भारतवासी के दिल में बसे, इसे लेकर मुंबई की मायानगरी से जुड़े फिल्मकार पिंटू दुर्रानी देश भर में अलख जगाने की राह पर हैं। मंदार की माटी में जन्मे पले बढ़े पिंटू दुर्रानी का जन्म बिहार के भागलपुर प्रमंडल अंतर्गत बांका जिला के बौसी अंचल के छोटे से गांव बलुआतरी में हुआ था।
पिंटू दुर्रानी ने बताया कि बचपन से ही तिरंगा के प्रति मन में जो श्रद्धा थी, उसने आज मुझे दीवाना बना दिया है। फिल्मों के लिए काम करना मेरी आजीविका का संसाधन है। लेकिन तिरंगा का भाव जन जन में जगाना जिंदगी का मकसद बन गया है।
पिंटू बताते हैं कि बीते 2014 ईस्वी में गांधी जयंती के दिन रांची में कई महान हस्तियों की मौजूदगी में शहीद चौक से मोरहाबादी मैदान तक तिरंगा यात्रा के आयोजन में मैं भी शरीक था।
उस दिन के बाद से तिरंगा दिल में लेकर मैं देश के कोने कोने में पहुंचाने की सोच लेकर निकल पड़ा। आजतक बिहार, झारखंड, बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, दिल्ली आदि के हजारों जगहों पर सार्वजनिक आयोजनों में शरीक होकर तिरंगा की महत्ता बताया।
तिरंगा यात्रा कर जनचेतना जगाने का काम किया। तिरंगा के तीन रंग व अशोक चक्र के मध्य चौबीस तीलियों के संदेश का सार समझाया। सबसे ऊपर केसरिया रंग बल भरने वाला है। ध्वज के मध्य सफेद रंग सादगी, समानता व शांति का पाठ पढ़ाता है। जबकि निचले हिस्से में दृश्यमान हरा रंग खुशहाली व समृद्धि का प्रतीक है।
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मध्य में गहरे नीले रंग में अशोक चक्र में मौजूद चौबीस तीलियों का भी अलग अलग खास संदेश हमें जीवन का पाठ पढ़ाता है। चौबीस संदेश इस प्रकार है :- आशा, स्नेह, साहस, धीरज, शांति, दयालुता, भलाई, भक्ति, सत्यता, आभा, संयम, निस्वार्थता, परित्याग, सत्यवादिता, धार्मिकता, न्याय, करूणा, कृपालुता, नम्रता, संवेदना, सहानुभूति, सर्वोच्च ज्ञान, परम बुद्धि, श्रेष्ठ नैतिकता, परोपकार।
तिरंगा यात्रा के लिए इन्हें 2014 में राजीव गाँधी एचीवमेंट एवार्ड के सम्मान से नवाजा जा चुका है। इन्होंने बताया कि मैं जहां कहीं भी जाता हूं या रहता हूं तिरंगा मेरे साथ रहता है। तिरंगा को घर घर पहुंचाना, तिरंगा यात्रा के माध्यम से देशप्रेम का भाव जगाना तथा एक भारत, श्रेष्ठ भारत निर्माण के लिए जन जन को जाग्रत करना मेरी जिंदगी का मकसद हो गया है।
इनका कहना है कि तिरंगा में हर धर्मों का सार समाहित है। पूरी दुनिया के सभी राष्ट्र ध्वजों में हमारा तिरंगा राष्ट्रध्वज सर्वश्रेष्ठ है। मरते दम तक मेरे लिए तिरंगा मेरी जान, तिरंगा मेरा अरमान, तिरंगा मेरा स्वाभिमान बना रहेगा।
खूब बहती है, अमन की गंगा बहने दो,
मत फैलाओ देश में दंगा रहने दो।
लाल हरे रंग में ना बाटो हमको,
मेरे छत पर एक तिरंगा रहने दो।