नई दिल्ली: प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रहीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आए बयान पर सेंट्रल Government ने पलटवार किया है। रेल मंत्रालय ने साफ किया है कि मजदूरों के टिकट के लिए सिर्फ 15 फीसदी रुपए ही लिए जा रहे हैं, वह भी राज्य सरकार भुगतान करेंगी।
रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सरकार ने यह साफ किया है कि इस सुविधा को केवल इसलिए बढ़ाया गया है ताकि लॉकडाउन के कारण फंसे हुए प्रवासी श्रमिक अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। लॉकडाउन के दौरान पीड़ितों को आराम देने के लिए यह सीमित छूट थी।’
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सोनिया गांधी ने सोमवार सुबह केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा था कि इस संकट की घड़ी में भी सरकार श्रमिकों से रेल टिकट की कीमत वसूल रही है।
इस मामले पर भजपा के एक नेता ने कहा कि प्रवासियों की मदद करने के बजाए कांग्रेस अपने आप को पुनर्जीवित करने के लिए एक कोशिश कर रही है।
वहीं, कम से कम दो राज्यों ने (बिहार और मध्य प्रदेश) अपने नागरिकों के लिए उनकी टिकट की कीमत रेलवे को देने का फैसला किया है।
अधिकारियों ने कहा कि 15% किराया वसूलने का निर्णय इसलिए भी लिया गया ताकि राज्य सरकारें प्रवासियों की प्रोत्साहन यात्रा को समाप्त न करें।
अधिकारी बोले कि रेलवे इन प्रवासी ट्रेनों को चलाने की लागत का 85% वहन कर रहा है। यह ट्रेनें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए केवल 60 फीसदी यात्रियों को ही ले जा रही हैं
केंद्र सरकार के अधिकारी लगातार कई दिनों से राज्य सरकारों को कह रहे थे कि वे ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को यात्रा के लिए न कहें क्योंकि इससे आर्थिक पुनरुद्धार प्रक्रिया धीमी होगी।
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वहीं, शुक्रवार को केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के दबाव में श्रमिकों को घर ले जाने के लिए विशेष ट्रेन की मांग को हरी झंडी दिखाते हुए तेलंगाना और झारखंड के बीच पहली ट्रेन चलाई थी। अधिकारियों बोले कि कोविड-19 लॉकडाउन श्रमिकों के लिए दर्दनाक है लेकिन इससे गांवों में संक्रमण नहीं फैला।