राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव की मतगणना पूर्ण हुई। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की आंधी में कांग्रेस का दिल्ली से सफाया हो गया है। कांग्रेस को भी सीट मिली वो सभी मुस्लिम क्षेत्र से मिली। हालांकि, पुरानी दिल्ली के मुस्लिम इलाके में आम आदमी पार्टी के मुस्लिम कैंडिडेट जीतने में सफल रहे हैं जबकि दिल्ली दंगे वाले इलाके में मुसलमानों ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ वोटिंग की है।
दरअसल दिल्ली विधानसभा के पिछले दो चुनावों में मुसलमानों ने खुलकर आम आदमी पार्टी को वोट दिया था। हालांकि इस बीच बीते कुछ समय से AAP की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है और उस पर सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति भी करने का आरोप लगता रहा है। MCD का यह चुनाव दिल्ली दंगों के बाद हुआ पहला चुनाव था। ऐसे में इसे AAP के लिए लिटमस टेस्ट की भी तरह देखा जा रहा था।
जिस तरह से CAA आंदोलन, दिल्ली दंगा में अरविन्द केजरीवाल का रवैया रहा फिर उसके बाद अभी गुजरात चुनाव के दौरान दिल्ली CM का बयान कहीं ना कहीं आप को नुकसान पहुँचाया है।
250 वार्ड वाले दिल्ली नगर निगम में AAP ने 134, बीजेपी 104 और कांग्रेस ने 9 पर जीत हासिल की। लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तरह कांग्रेस का प्रदर्शन इस चुनाव में भी फ्लॉप रहा। 2017 में 31 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 9 सीटें जीतने में ही कामयाब रही। चुनाव में कांग्रेस की इज्जत मुस्लिम उम्मीदवारों ने बचाई। कांग्रेस ने जिन 9 वार्ड में जीत हासिल की उसमें से 7 मुस्लिम उम्मीदवार हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोट मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से ही मिला। जिस तरह कांग्रेस के चुनें गए 9 पार्षद में से 7 मुस्लिम हैं उसी तरह से जिन वार्डों में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही वो भी अधिकतर मुस्लिम बाहुल्य वार्ड थे।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली की राजनीति में करीब 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। 70 विधानसभा वाली दिल्ली में 8 विधानसभा और 250 में से 50 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं।
शहर की बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर, दिलशाद गार्डन और किराड़ी मुस्लिम बहुल इलाके हैं। इन क्षेत्रों की पार्षद सीटों पर 40 से 90 फीसदी तक मुस्लिम मतदाता हैं। इसके अलावा त्रिलोकपुरी और सीमापुरी इलाके में भी मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी संख्या में हैं।