दिल्ली 29 नवंबर । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में सरकार द्वारा कृषि से संबंधित तीनों कानूनों को वापस लेने को किसानों और श्रमिकों की जीत करार दिया लेकिन कहा कि सरकार ने बिना किसी चर्चा के कानूनों को वापस ले लिया है। यह स्पष्ट कर दिया कि वह संसद में बहस से डरते हैं। श्री गांधी ने यहां संसद भवन में संवाददाताओं से कहा कि वह जानना चाहते हैं कि जब सरकार ने कृषि पर अपने कानूनों को वापस ले लिया तो उन्हें बहस होने का क्या डर था।
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उन्होंने कहा कि सरकार जानती है कि उसने कुछ गलत किया है, इसलिए वह संसद में कानून पर बहस करने से डरती है और इस पर बहस न करने के विकल्प के रूप में कानून को वापस ले लेती है।
उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि सरकार ने किसानों की ताकत के आगे झुककर कृषि से जुड़े तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है लेकिन उनकी पार्टी इस मुद्दे पर बात करना चाहती थी ताकि पता चले कि इन कानूनों को लाने के पीछे क्या ताकत थी. कौन हैं वो तीन, चार पूंजीपति जो इस कानून के पीछे मजबूती से खड़े रहे ताकि इन कानूनों से किसान का श्रम प्रभावित हो सके।
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श्री गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए किसानों से माफी मांगी थी। उन्होंने कहा कि लोगों से प्रधानमंत्री के माफीनामे से साफ है कि उन्होंने अपनी गलती मान ली है कि 700 किसानों की मौत के लिए वे ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि श्री मोदी अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं, इसलिए उन्हें अब किसानों को मुआवजा देना चाहिए।