भारत में मुसलमानों के खिलाफ नफ़रत की जो मुहिम पिछले कुछ सालों से चलाई जा रही है अरब मुल्कों से यह सब छिपा नहीं था। एक दिन इसकी प्रतिक्रिया होनी ही थी। पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकट पैदा हो गया है। कई मुस्लिम बहुल देशों ने इस कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की निंदा की है।
अरब मुल्कों में हमारे राजनयिकों को दंडवत होना पड़ा, प्रधानमंत्री के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपमानजनक तरीके अपनाए गए और कुल मिलाकर भारत को शर्मसार होना पड़ा। पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद ईरान, इराक, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, ओमान, ईरान, यूएई, जॉर्डन, अफगानिस्तान, बहरीन, मालदीव, लीबिया और इंडोनेशिया सहित कम से कम 15 देशों ने विवादास्पद टिप्पणी को लेकर भारत के खिलाफ आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है।
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पिछले 7-8 सालों से अल्पसंख्यकों को संकेत दिया गया कि आप हमारे साथ शामिल नहीं अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते भाजपा ने अपने दोनों प्रवक्ताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है लेकिन अभी तक कानूनी कार्यवाही नहीं की गई है।
सरकार सिर्फ इतना बता दे जब इतने जगह से के खिलाफ FIR हो चुका है फिर आखिर उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है ? लेकिन लाख टके का सवाल है कि क्या इसके बाद मुहिम बंद हो जाएगी ? अरब देशों में बवाल के बाद क्या बीजेपी लेगी कोई सबक ? इसी बीच खबर फिलिस्तीन से है जहाँ गाजा पट्टी की सत्ता पर काबिज संस्था हमास ने भी इस हरकत का विरोध किया है, हमास की तरफ से जारी बयान मे हमास ने मुस्लिम मुल्कों से अपील की है कि वो तत्काल भारत से अपने रिश्ते खत्म करें और भारतीय सामानों का बहिष्कार करें।
पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद हमास ने कहा कि भारत मे अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ कानून बनाए जा रहे है स्कूलों और कॉलेजों मे हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाई जा रही है और मुस्लिमों के घरों और मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। अरब देशों में जो लाखों भारतीय मजदूर हैं, अगर उनके खिलाफ नफरत का माहौल बन जाए या उनके खिलाफ हिंसा होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ?
भारत सरकार को यह तय करना चाहिए कि ऐसे बयान देने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसा कंडक्ट बनाना चाहिए, जिससे हेट स्पीच देने वालों पर पूरी तरह रोक लगे। हेट स्पीच कौन देता है? उससे भारत के बाहर देश की किस तरह की छवि बन रही होती है, उसके बारे में हेट स्पीच देने वालों को कतई अंदाजा नहीं होता। उन्हें अपने रोजगार, नौकरी और मजदूरी प्रभावित होने की आशंका रहती है।
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उन्हें घबराहट होती है कि कहीं ऐसा न हो कि उनकी नौकरी चली जाए, उनका बिजनेस प्रभावित हो जाए, मजदूरी छूट जाए। उस पीड़ा को हेट स्पीच देने वाले महसूस नहीं कर सकते। हेट स्पीच देने वाले किसी भी धर्म, समुदाय के हो सकते हैं, लेकिन उन पर पूरी तरह अंकुश लगना चाहिए।
सैय्यद आसिफ इमाम