किसी भी सरकार की पहली जिम्मेदारी बृहत्तर आबादी के प्रति होती है और उसका पहला हथियार होता है वाजिब व न्यायसंगत टैक्स नीति। मोदी सरकार ने यह सब कुछ भुला दिया है। पेश के संक्षिप्त हाल चाल।
- प्रत्यक्ष या डायरेक्ट टैक्स हैं – इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और वेल्थ टैक्स। आय / मुनाफे के आधार पर अलग-अलग टैक्स स्लैब होने के कारण माना जाता है कि ये टैक्स समान हैं या कमाई के अनुसार ज्यादा अथवा कम हैं।
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- अप्रत्यक्ष कर में जीएसटी, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क हैं। ये अमीर और गरीब में भेदभाव नहीं करते। बेशक, कोशिश रहती है कि लक्जरी या गैर जरूरी चीजों अथवा सेवाओं पर ज्यादा टैक्स हो और जरूरी चीजों पर कम (नए जीएसटी में एक खास पंगा है किसी भी चीज को पूरी तरह कर मुक्त नहीं किया जा सकता है। ऐसा सरकार ने कम से कम दो मामलों में कहा है पर बाद में कर दिया। वह अलग पाखंड है। दूसरी ओर ऐसी स्थितियां बना दी गई हैं कि अब बिना जीएसटी पंजीकरण कारोबार लगभग असंभव है और बड़ी आबादी को दूध सब्जी पर भी टैक्स देना पड़ रहा है।)
- 2019 में भारत का प्रत्यक्ष टैक्स 11.36 लाख करोड़ या कुल टैक्स प्राप्ति का 55% था ।
- हालांकि, भारत सरकार ने 2019 में अपने अधिकतम कॉरपोरेट टैक्स दर को 30% से घटाकर 22% कर दिया। इससे उन कॉरपोरेट को लाभ हुआ जो अच्छा फायदा कमा रहे थे।
- कॉरपोरेट टैक्स की दर में कमी ने कॉर्पोरेट टैक्स वसूली को मात्र दो साल में 2.06 लाख करोड़ कम कर दिया। 2019 में 6.63 लाख करोड़ से घटकर यह 2021 में 4.57 लाख करोड़ रह गया। वसूली में यह कमी मुनाफा कमाने वाली कंपनियों से की गई है और दर कम होने के कारण अब वे कम टैक्स दे रही हैं। उदाहरण के लिए : रिलायंस इंडस्ट्रीज 2019 में 15390 करोड़ रुपये टैक्स दिए थे और 2021 में सिर्फ 1722 करोड़ रुपए दिए।
- नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले करों में इस कटौती की घोषणा धूम-धाम से की गई थी। इससे प्रत्यक्ष कर की वसूली दो साल में कुल 55% से घटकर 47% तक रह गई।
- हालांकि, कॉरपोरेट टैक्स में इस कमी का अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं पड़ा। पूंजी निर्माण सुस्त रहा और यही हाल आर्थिक विकास तथा खपत का था।
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- कॉरपोरेट करों में इस नुकसान की भरपाई के लिए ईंधन टैक्स की प्राप्ति टैक्स बढ़ाकर बढ़ाई गई है। यह टैक्स – ट्रक, टैक्सियों और ऑटो पर समान रूप से बढ़ाया गया। ईंधन टैक्स 2014-15 में लगभग 0.74 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2020-21. में 3.6 लाख करोड़ हो गया। इस साल ईंधन पर कर की वसूली 4.5 लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है। यह सभी कॉरपोरेट टैक्स के बराबर होगा और कुल टैक्स का लगभग 20% होगा।
- कॉरपोरेट टैक्स घटने से शेयर बाजार में तेजी आई। इससे बीएसई (बांबे स्टॉक एक्सचेंज सूचकांक) आज 25600 से दूना होकर 52000 हो गया।
- भारत ने हमेशा समान कर सरचना का दावा किया है। आज हम ऑटो चालकों और टैक्सी चालकों को पैसे देने के लिए मजबूर कर रहे हैं ताकि हमें कम टैक्स देना पड़े। और हम शेयर बाजार से भी लाभ कमा सकें ।
आज भारत गरीबों को लूट कर उन्हें अमीर बना रहा है जो पहले से ही अमीर हैं। टैक्स वसूली के लिहाज से भारत आज एक वाजिब और न्यायोचित देश होने से बहुत दूर है।
Peri Maheshwer की पोस्ट का अनुवाद।