हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राव बीरेन्द्र सिंह का 1857 की स्वतंत्रता क्रांति के महानायक शहीद- ए-आजम राव तुलाराम के रामपुरा रेवाड़ी राजकुल के वंश से संबंध रहा है। इनका जन्म 20 फरवरी, 1921 को हरियाणा के रेवाड़ी जिले में हुआ था।
दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कॉलेज से 1942 में ग्रेजुएशन के पश्चात ? राव बीरेन्द्र सिंह ने भारतीय सेना में 1942 से 1947 तक बतौर कमीशंड आफिसर अपनी सेवाएं दीं। इसी दौरान द्वितीय विश्वयुद्ध में बर्मा में तैनात रहे। युद्ध के उपरांत पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए सेना से त्यागपत्र देकर रेवाड़ी आ गए। वर्ष 1949-50 में इंडियन पुलिस सर्विस के लिए चयनित हुए परन्तु इन्होंने 1950- 51 में टेरिटोरियल आर्मी में अपना योगदान देना उचित समझा।
कालांतर में राव बीरेन्द्र सिंह ने राजनीति की राहली और 1952 में हिन्दू महासभा के समर्थन से कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध अपना पहला चुनाव लड़ा। राव बीरेन्द्र सिंह, 1954 में पंजाब विधान परिषद के लिए अम्बाला संभाग से निर्दलीय निर्वाचित हुए।
तत्कालीन संयुक्त पंजाब के हिन्दी भाषी क्षेत्रों, जिसे आज का हरियाणा कहते हैं, में राव बीरेन्द्र सिंह का जनाधार एवं लोकप्रियता को देखते हुए पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरो को राव बीरेन्द्र सिंह को अपने मंत्रिमंडल में जगह देनी पड़ी।
इन्होंने लोक निर्माण, राजस्व व सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभाला। वर्ष 1961 में हिंदी भाषी क्षेत्रों के प्रति सौतेला व्यवहार को लेकर इनका कैरो सरकार से मतभेद हो गया और राव वीरेन्द्र सिंह, तत्कालीन प्रदेश सरकार से अलग हो गए। वर्ष 1967 में राव बीरेन्द्र सिंह नये हरियाणा प्रदेश की नवगठित हरियाणा विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए।
23 मार्च, 1967 को पटौदी से विधायक रहते हुए राव बीरेन्द्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने और अपने कार्यकाल में इन्होंने किसानों के लिए अनेक कल्याणकारी फैसले लिये, जिसके फलस्वरूप किसानों को उनकी उपज का अधिकतम भाव मिल सका। प्रभावशाली किसान हितैषी नीतियों के कारण हरियाणा में ‘राव आया भाव आया’ का नारा प्रचलित हुआ जो इनके कार्यकाल के पश्चात ‘राव गया भाव गया’ में बदल गया। लगभग 9 महीने के सफल मुख्यमंत्री कार्यकाल के बाद केंद्र सरकार ने विधानसभा भंग कर दी। इस काल में उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता के कारण ‘आया राम गया राम’ का नारा भी प्रचलित हुआ।
साल 1968 में हरियाणा विधानसभा चुनावों में राव बीरेन्द्र सिंह ने अपनी नवगठित ‘विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर अटेली और जाटूसाना विधानसभा के दोनों क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की, इस विधानसभा चुनाव में विशाल हरियाणा पार्टी को 81 में से 16 सीटों पर जीत हासिल हुई और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी।