नई दिल्ली: आम धारणा है कि गरीबों को न्याय नहीं मिलता। गरीब थानों, कचहरियों और कोर्ट के चक्कर लगाते रह जाते हैं मगर उनको न्याय मिलने में सालों लग जाते हैं। आज गरीबों और अमीरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने ये बड़ी बातें कहीं।
सुप्रीम कोर्ट से आज रिटायर हुए जज न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने अपने विदाई भाषण में कहा कि, “सिस्टम का काम करना अमीरों और शक्तिशाली लोगों के पक्ष में अधिक लगता है।
अगर एक शक्तिशाली व्यक्ति सलाखों के पीछे है तो, सिस्टम तेजी से काम करता है। जब कोई किसी गरीब की आवाज़ सुप्रीम कोर्ट में उठता है तो कोर्ट को उसे सुनना चाहिए और जो कुछ भी गरीबों के लिए किया जा सकता है उसे करना भी ज़रूर चाहिए।
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किसी भी परिस्थिति में संस्थान की अखंडता (ईमानदारी) को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। न्यायपालिका को हर अवसर पर उठना चाहिए। मुझे यकीन है कि मेरे भाई जजों के चलते यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लोगों को जो अदालत से चाहिए वह उन्हें मिल जाए।”
जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा, “संविधान जजों की पवित्र किताब है। जब एक जज अदालत में बैठता है, तो हमें अपने धार्मिक मान्यताओं को भूलना होगा और केवल इस संविधान के आधार पर मामले तय करने होंगे जो हमारी बाईबल, हमारी गीता, हमारा कुरआन और हमारे गुरु ग्रंथ साहिब और अन्य ग्रंथ हैं।”
जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि, “42 साल तक इस पेशे में रहने के दौरान मैंने इसके हर पल का आनंद लिया। हालांकि कोर्ट से मेरा रिश्ता खत्म हो गया, लेकिन बार के साथ मेरा रिश्ता कभी खत्म नहीं हो सकता।
मैं पेशे को छोड़ने के लिए दुखी हूं, मुझे खुशी है कि मेरे पास परिवार है और खुद के लिए अधिक समय होगा।
मुझे कुछ समय मिलेगा पढ़ने के शौक को पूरा करने का और आगे बढ़ने का। मैं जज के रूप में जितना कमाता था, उससे ज्यादा पैसा कमाने के लिए भी मिलेगा।”
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इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कहा कि, मुझे न्यायमूर्ति गुप्ता के परिवार के सदस्यों से जलन है क्योंकि वे इस महान व्यक्ति के पास रहेंगे। बार और बेंच आपकी हमेशा आभारी रहेगी।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने जस्टिस गुप्ता के लिए कहा कि, “असहमति पर इतनी दृढ़ता से खुलकर सामने आने वाले आप पहले जज हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में यह एक बहुत ही साहसिक बयान दिया गया है।”