आगा खुर्शीद खान
इन दिनों देश में दो मुद्दा बड़ी तेज़ी से गरमाया हुआ है। इसमें एक है अडानी का मामला, जिसे आए दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल राहुल गाँधी संसद में उठा रहे हैं। दूसरा मामला BBC और गुजरात दंगों पर बनी डाक्यूमेंट्री को लेकर है। दोनों मामले सोशल मीडिया से लेकर आमजन के बहस का मुद्दा बना हुआ है। इन सबके बीच पीएम मोदी का बयान बहुत कुछ दर्शा देता है।
‘एक अकेला सबपर भारी’ पीएम नरेन्द्र मोदी ने राज्य सभा में अपना सीना ठोकते हुए यह जुमला यूं ही नहीं कहा था। वह सबपर भारी हैं, जब तक वह देश के पीएम हैं और देश की तमाम एजेंसियां उनके कण्ट्रोल में हैं। उस वक्त तक वह वाकई सब पर भारी हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि PM मोदी ने नेहरू सरनेम न लगाने की बात कहकर मेरी और मेरे परिवार का अपमान किया है। क्या मोदी को यह नहीं पता कि हिन्दुस्तान में हर कोई अपना सरनेम अपने वालिद का लगाता है, नाना का नहीं।
राहुल ने कहा कि हमने अडानी और मोदी की दोस्ती में अडानी को मिले हजारों करोड़ के फायदे पर लोकसभा में सवाल उठाए थे जवाब में मोदी ने किस्से कहानियां तो बहुत सुनाई लेकिन अडानी का नाम एक बार भी नहीं लिया।
याद रहे कि लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के चेयरमैन ने अडानी और मोदी की दोस्ती से सम्बंधित राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के सवाल पर रिकॉर्डिंग हटवा दिए लेकिन उनकी यह कार्रवाई पूरी तरह बेकार साबित हुई क्योकि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद के बाहर अपने तमाम आरोप और सवालों को कई बार दोहरा दिए।
पूरी तरह से सरकारी ताकत, हाथों में होने की वजह से मोदी सरकार ने बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ्तरों पर छापे मरवाए, इनकम टैक्स को शायद जल्दी ही अपनी गलती का एहसास हो गया इसलिए उन्होने बयान जारी करके कहा कि यह छापे नहीं सर्वे हैं लेकिन बात तो हाथ से निकल गई और पूरी दुनिया के मीडिया हाउसेज ने मोदी सरकार की इस कार्रवाई पर सख्त आलोचना की।
सबने कहा कि 2002 में मोदी के सीएम रहते गुजरात में मुसलमानों का कत्लेआम हुआ था बीबीसी ने मोदी और उनकी सरकार की पोल खोलते हुए डाक्यूमेंट्री बना दी, उससे नाराज मोदी ने बीबीसी को सबक सिखाने के लिए उसके दफ्तरों पर छापे पड़वा दिए।
वायनाड में एक समारोह को सम्बोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने लोकसभा में किए गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। उल्टे उनकी तौहीन करने की गरज से उनके सरनेम पर बयानबाजी की। राहुल ने कहा कि उनकी भाषण के ज्यादातर हिस्सों को संसद की कार्रवाई से निकाल दिया गया लेकिन पीएम मोदी उनकी तौहीन करते रहते हैं तो उनका कहा हुआ एक लफ्ज भी कार्रवाई से नहीं हटाया जाता।
राहुल ने कहा कि संसद की कार्रवाई से उनकी कही बातें निकाल दिए जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योकि मैने जो कुछ अंदर कहा था उसे पूरे देश ने पूरी तरह सुन लिया है और हम लोग बाहर भी हर जगह वही बातें दोहरा रहे हैं। उन्होने कहा कि सच्चाई को कोई मार नहीं सकता, मोदी ने पूरा देश अपने दोस्त अडानी को सौंप दिया यह सच्चाई है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी हमेशा गुरूर और गुस्से में ही बोलते हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं लोक सभा में बोल रहा था तब आप मेरा चेहरा देख लीजिए और जब पीएम मोदी बोल रहे थे उस वक्त के उनके चेहरे को देख लीजिए।
राहुल गांधी ने लोक सभा में मोदी और अडानी के रिश्तों पर जो कुछ कहा था बीजेपी का कहना है कि राहुल ने बगैर किसी दस्तावेजी सबूत के रिश्तों को बदनाम करने के लिए झूटे आरोप लगाए। बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने राहुल के खिलाफ प्रीविलेज का नोटिस दिया स्पीकर ओम बिड़ला ने राहुल गांधी को नोटिस भेजकर जवाब तलब भी कर लिया। लेकिन पीएम मोदी ने बोफोर्स समेत कई ऐसे मामलों का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर बेईमानी और घोटाले करने का इल्जाम लगाया।
रविशंकर प्रसाद समेत कई सदस्य ने टूजी और कोयला घोटाले समेत कई ऐसे मामलात का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमले किए जिन घोटालों का कोई सबूत नहीं है और बोफोर्स समेत सभी मामलात अदालत के जरिए क्लीन चिट हासिल कर चुके हैं फिर इन लोगों के खिलाफ प्रीविलेज की बात क्यों नहीं की गई। राहुल ने कहा कि उन्होने अडानी की वजह से मोदी पर जो भी सवाल उठाए मैंने एक भी गलत लफ्ज का इस्तेमाल नहीं किया मैंने हर बार नर्म लहजे में ही बात की किसी को गाली नहीं दी लेकिन उनका बात करने का तरीका आप लोग खुद ही देख लीजिए।
राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए अडानी भी वहां पहुचें क्योंकि वह एक कोयला खदान लेना चाहते थे ऑस्ट्रेलिया की कोल मिनिस्ट्री ने कहा कि उन्हें तो खदान देने के लिए स्टेट बैंक आफ इंडिया की गारण्टी चाहिए फौरन ही स्टेट बैंक की चेयर पर्सन को वहां बुलाया गया और अडानी को एक अरब डालर का कर्ज वहीं दे दिया गया। अडानी को एयरपोर्ट देने के लिए नियमों को बदला गया।
नियम यह था कि जिसे एयरपोर्ट चलाने का तजुर्बा नहीं होगा उसे टेण्डर की कार्रवाई में शामिल नहीं किया जाएगा। अडानी के लिए शर्त बदल दिए गए। नीति आयोग तक ने इस पर एतराज जताया था।
उन्होने कहा कि संसद में उन्होने जो कुछ कहा सब इंटरनेट पर मौजूद हैं इसके बावजूद मेरे भाषण के ज्यादातर हिस्सों को कार्रवाई से हटा दिया गया।
इनकम टैक्स विभाग ने चैदह फरवरी को बीबीसी के मुंबई और दिल्ली दफ्तरों पर छापेमारी की, फौरन ही दुनिया भर में इसका विरोध होने लगा, दुनिया भर के मीडिया ने लिखा कि बीबीसी ने 2002 में गुजरात में हुए मुसलमानों के कत्लेआम पर डाक्यूमेंट्री बनाई थी इसीलिए बीबीसी को सबक सिखाने के लिए उसके मुंबई और दिल्ली दफ्तरों पर छापे मारे गए।
देश की कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने भी इस छापेमारी की विरोध की, तब इनकमटैक्स विभाग ने कहा कि छापा नहीं सर्वे है। यह कथि सर्वे चौथे दिन खबर लिखे जाने तक जारी था। बीबीसी के कई कर्मचारी और पत्रकारों को उनके घर नहीं जाने दिया गया उनके लैपटाप और मोबाइल भी ले लिए गए।