कोरोना वायरस ने अब तक करीब 1 लाख 80 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली है और इससे 26 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, जिसकी वजह से दुनिया के अधिकतर देश अपने यहां लॉकडाउन करने पर मजबूर है।
कार्यकारिणी बोर्ड का चेयरपर्सन भारत को बनाना का फैसला पिछले साल डब्ल्यूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया समूह के दौरान सर्वसम्मति से लिया गया था, जिसमें अगले तीन वर्षों तक नई दिल्ली को कार्यकारिणी बोर्ड में बनाए रखने का प्रस्ताव किया गया था।
इस समूह ने क्षेत्रीय समूहों की तरफ से एक साल के लिए रोटेशन वाले वाले चेयरपर्सन के पद के लिए भी भारत का नाम नॉमिनेट किया था।
ये भी पढ़ें: भारत के 78 जिलों में 14 दिनों से नहीं आया कोरोना संक्रमण
यह फैसला विश्व के कोरोना संकट में फंसने और चीन के वुहान में कोरोना की उत्पत्ति से बहुत पहले ही ले लिया गया था।
संयुक्तराष्ट्र सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) एजेंसी ने कहा है कि नवीनतम उच्च गति वाली ब्रॉडबैंड तकनीक 5 जी की कोरोना वायरस के प्रसार में कोई भूमिका नहीं है और कोरोना वायरस और इसके बीच संबंध की बात ”एक अफवाह है, जिसका कोई तकनीकी आधार नहीं है।”
दुनियाभर में कोरोना महामारी फैसले के बाद से आयरलैंड, साइप्रस और बेल्जियम सहित कई यूरोपीय देशों में 5 जी नेटवर्क के टावार-उपकरण की तोड़-फोड़ की खबरें आ रही हैं।
यूएन न्यूज की एक खबर में कहा गया है कि ब्रिटेन में दर्जनों टावरों को निशाना बनाया गया और उन पर काम कर रहे कुछ इंजीनियरों के साथ बुरा बर्ताव किया गया।
अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) की प्रवक्ता मोनिका गेहनेर ने बुधवार को यूएन न्यूज को बताया कि 5जी और कोविड-19 के बीच संबंध की बात एक अफवाह , जिसका कोई तकनीकी आधार नहीं है।
ये भी पढ़ें; WHO की टीम के लिए रेड कार्पेट बिछाने पर राज्यपाल ने ममता सरकार को घेरा
उन्होंने कहा, ”कोविड 19 रेडियो तरंगों से नहीं फैलता है। इस कोरोना महामारी के दौरान जब असली चिंताएं आम लोगों के स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के बारे में हैं, यह सच में शर्म की बात है कि हमें समय या ऊर्जा को इस तरह की झूठी अफवाहों से लड़ने में लगाना पड़ रहा है।
5 जी अगली पीढ़ी की सेलुलर तकनीक है, जिसमें डाउनलोड गति वर्तमान 5 जी नेटवर्क की तुलना में 10 से 100 गुना तेज है।”