कानपुर में सीओ सहित आठ पुलिस कर्मियों की शहादत के बाद मुख्य आरोपी की तलाश तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि आतं!कवादी विकास दुबे की तलाश के लिए साठ टीमों में 1500 पुलिस कर्मी लगाए गए हैं।
क्राइम ब्रांच की 12 टीमें और एसटीएफ की टीमें दबिश दे रही हैं। हर जिले में सर्विलांस सेल लगी है। बिकरू के आसपास दो दर्जन गांवों में पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया। शहर में उसके एक दर्जन ठिकानों पर दबिश दी गई हैं।
ये भी पढ़ें: मुंबई, दिल्ली और 6 शहरों से कोलकाता के लिए विमान सेवा पर रोक, पश्चिम बंगाल सरकार का फैसला
आतं!कवादी विकास दुबे के पास मुखबिरों की पूरी फौज है। युवाओं की इतनी बड़ी संख्या है कि उससे जुड़ी कोई भी सूचना उस तक पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता। पुलिस, प्रशासन, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, केडीए हो या अन्य कोई भी सरकारी विभाग, सभी जगह पर उसके लोग मौजूद हैं।
वहीं, पुलिस पूरी तरह से सर्विलांस और आधुनिक संसाधनों पर आश्रित है। उसका मुखबिर तंत्र खत्म हो चुका है। विकास दुबे अपने मिलने वालों से ठेकेदारी कराता और उसमें उसका कमीशन फिक्स है।
अपराध की दुनिया का नेटवर्क विकास ने अलग से तैयार किया है। इस टीम के युवा उसे शहर से लेकर गांव देहात तक की जानकारियां देते हैं। विकास के जानने वालों ने बताया कि सूचनाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी 600 से ज्यादा युवाओं के पास है।
शनिवार की दोपहर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के किलेनुमा घर पर बुलडोजर चलाकर जमींदोज करा दिया। विकास की दो लग्जरी कारों को भी नेस्तनाबूत कर दिया गया। बिकरू कांड में संदिग्ध भूमिका के चलते चौबेपुर के थानेदार विनय तिवारी को निलंबित कर दिया गया है।
विनय तिवारी से पूछताछ चल रही है। दूसरी ओर पुलिस की चालीस टीमों ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर कई संदिग्धों को उठाया है। शनिवार को दहशत का आलम यह था कि गांव के ज्यादातर लोग घरों पर ताला डालकर पलायन कर गए।
जो लोग गांव में रह गए उन्होंने अपने मुंह पर ताला डाल रखा है। ज्यादातर के मुंह पर यह ताला विकास के भय से पड़ा है। वहीं, लखनऊ में उसके भाई के भी घर को ढहाने की तैयारी चल रही है।
कानपुर में गुरुवार की आधी रात को चौबेपुर के बिकरू गांव में कई थानों की फोर्स विकास दुबे को दबोचने गई थी। पुलिस के पहुंचते ही आतं!कवादी विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ घेरकर हमला बोल दिया था।
जिसमें सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेश चंद्र यादव, चौकी इंचार्ज मंधना अनूप कुमार सिंह, एसआई नेबूलाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, बबलू कुमार और राहुल कुमार शहीद हो गए थे।
सात अन्य पुलिस कर्मीं घायल हो गए थे जिनका इलाज चल रहा है। हमले के बाद मुठभेड़ में पुलिस ने विकास के मामा और चचेरे भाई को ढेर कर दिया था। शनिवार को आला अफसरों के निर्देश पर विकास दुबे की ही जेसीबी से उसके 2000 वर्ग गज में बने किलेनुमा घर को ढहा दिया गया। इसी जेसीबी से विकास ने घटना की रात पुलिस का रास्ता रोक रखा था।
बिकरू कांड में संदिग्ध भूमिका के चलते शनिवार को चौबेपुर एसओ विनय तिवारी को निलंबित कर दिया गया। अफसरों के अनुसार विनय तिवारी से जुड़ीं कई बातें ऐसी हैं जो समझ से परे हैं। दबिश वाली रात खुद का ही इलाका होने के बाद भी विनय सबसे पीछे चल रहा था।
निलंबित एसओ से एसटीएफ पूछताछ कर रही है। पुलिस इसकी भी जांच कर रही है कि विकास दुबे को दबिश की जानकारी कहां से मिली है।
दिनेश कुमार पी, एसएसपी ने बताया कि विकास दुबे प्रकरण में प्रथम दृष्टय एसओ की लापरवाही सामने आई है। उसे निलंबित कर दिया गया है। उसकी जगह कृष्ण मोहन राय को इंस्पेक्टर तैनात किया गया है।
इसके अलावा सीओ बिल्हौर का चार्ज संतोष कुमार सिंह को दिया गया है। विकास दुबे की तलाश में पुलिस की टीमें लगातार काम कर रही है, पुलिस का कहना है हम बहुत जल्द उस तक पहुंच जाएंगे।
ये भी पढ़ें: कानपुर मुठभेड़ में मथुरा का भी एक लाल शहीद
मोहित अग्रवाल, आईजी रेंज के मुताबिक गांव के लोगों में विकास दुबे को लेकर बहुत आक्रोश था। जब हम लोगों ने पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि विकास दुबे का घर जुर्म की दुनिया का अड्डा था।
वहां पर अपराधी आते जाते थे। गांव वालों की जमीनों को हड़पकर उसने विशाल कोठी बनाई थी। गांव वाले उसकी इस कोठी को ढहा देना चाहते थे।