नई दिल्ली : सांसद भगवंत मान ने घातक कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा 8 दिसंबर के भारत बंद को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा है कि यह मसला किसी एक राजनैतिक,धार्मिक या प्रान्त के एक समुदाय का नहीं है.
बल्कि पूरे देश के किसानों का है, जो अपने साथ-साथ अपने कृषि प्रधान देश के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा ।
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मान ने मोदी सरकार को चेताया कि वह किसानों की हां में हां कहकर मामले का तुरंत निपटारा करे, वरना इस अंदोलन को लंबा खींचने की चाल सरकार को ही उल्टा पड़ेगी ।
भगवंत मान ने कहा कि कृषि और किसान के बगैर भारत माता के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती और प्रत्येक नागरिक का फर्ज बनता है कि इस संघर्ष को बढ़चढ़ कर समर्थन दिया जाए और भारत बंद को ऐतिहासक रूप में सफल बनाया जाए।
मान ने आग्राह करते हुये कहा कि कई प्रकार के नापाक गठजोड़ किसान अंदोलन को लेकर जितने भयभीत है। उतनी ही कोशिशें कर रहें है कि जैसे कैसे भी इस अंदोलन को कमजोर व खत्म किया जाए।
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एक जाल सभी अंदोलनकारी किसानों को जेलों में बंद करने का भी बुना गया था। जिस पर अरविंद केजरीवाल सरकार ने पानी फेर दिया। याद की कीजिए जब मोदी सरकार ने दिल्ली के स्टेडियमों को अस्थाई जेलों में तब्दील करने की योजना बनाई थी,
परन्तु केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार की इस मांग को दो टूक न कर दी और किसानों के साथ डटते हुये मोदी सरकार के भारी दबाव के सामने झुकी नहीं। केजरीवाल सरकार के इस साहसी निर्णय से इस अंदोलन को और उत्साह और बल मिला।
भगवंत मान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादल परिवार पर गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि अंदोलन को खत्म करने वाले मोदी सरकार के मंसूबों में यह गद्दार भी पूरी तरह भागीदार थे और हैं।
मोदी मंत्रमिंडल में अपनी बहुरानी की एक कुर्सी के लिये आखिर तक इन काले कानूंनों का गुणगान करने में जुटे रहने वाले बादल यद्यपि पहले दिन से ही विरोध करते तो कानूंन बनने ही नहीं थे।
अपनी अनेकों कमजोरियों के कारण भाजपा के मुख्यमंत्री के तौर पर काम कर रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह यदि मोदी की गोदी में बैठने की बजाए शुरू में ही बिलों का विरोध करते हुये खुलकर किसानों के साथ डटते तो मोदी सरकार की इस कदर हिम्मत न बढ़ती कि किसानों को इतना अनसुना कर देती।
लेकिन पंजाब के इन दोनों परिवारों (कैप्टन और बादल) को तो मोदी ने अपनी जेब में डाल रखा है। इन दिनों दोनों के बीच चल रहीं गाली गलौच भी मोदी की सोची समझी योजना का हिस्सा है ताकि आम लोगों का किसान अंदोलन से ध्यान भटकाया जा सके। इस लिये इन दोनों की गद्दारी को कभी माफ नहीं किया जा सकता।