नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस लॉकडाउन के बाद अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे थे। इनको लेकर अब वर्ल्ड बैंक ने भी चिंता जताई है। पहले से अंदाजा लगाया जा रहा था और अब वर्ल्ड बैंक ने भी माना है कि अपने घर लौटे ये लोग COVID-19 के वाहक हो सकते हैं और इसकी वजह से कोरोनावायरस के मामले बढ़ सकते हैं।
लॉकडाउन के बाद कई लोग ट्रेनों, बसों में भरकर तो कई लोग पैदल ही अपने घर की तरफ निकल गए थे। वर्ल्ड बैंक ने कहा कि ऐसे प्रवासी मजदूर भारत के उन हिस्सों तक कोविद 19 को पहुंचा सकते हैं जो अब तक अछूते हैं।
अपनी रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक ने कहा कि साउथ एशिया में बाकी दुनिया के मुकाबले जनसंख्या घनत्व काफी ज्यादा है। खासकर शहरी क्षेत्रों में यह और ज्यादा है। ऐसे में कोविद 19 को फैलने से रोकना काफी बड़ी चुनौती होगी।
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रिपोर्ट में भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान का नाम लेकर कहा गया है कि यहां लॉकडाउन के बाद प्रवासी लोगों में अपने घर जाने की भगदड़ मची, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवा पाना नामुमकिन था।
रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसे प्रवासी लोग कोरोना वायरस के वाहक हो सकते हैं और हो सकता है वे अपने साथ गांव में कोविद 19 ले भी गए हों। वर्ल्ड बैंक ने यह रिपोर्ट साउथ एशिया इकनॉमिक अपडेट: इंपेक्ट ऑफ COVID 19 नाम से दी है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साउथ एशिया के देशों में 65 साल से ऊपर के लोगों की संख्या अमेरिका और चीन के मुकाबले कम है जिससे हो सकता है कि यहां मौ!त का आंकड़ा कम रहे।
वर्ल्ड बैंक ने यह भी अनुमान लगया है कि कोरोना दक्षिण एशिया में अबतक गरीबी कम करने के जो प्रयास हुए उनपर घातक असर डालेगा। दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था को भी कोविद 19 से चोट पहुंची है।
वर्ल्ड बैंक ने आगाह किया कि इस जानलेवा महामारी की वजह से दक्षिण एशिया गरीबी उन्मूलन में हुए लाभ को गंवा सकता है। वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र के आठ देशों की अर्थव्यवस्थाओं में जोरदार गिरावट आएगी।
क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां ठप हैं, व्यापार में नुकसान हो रहा है और वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र दबाव में हैं। रिपोर्ट में चेताया गया है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र को कोरोना वायरस की वजह से बड़ा झटका लगेगा।