अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का जवाब 413 पन्नों में दिया। वहीं इसके एक दिन बाद सोमवार सुबह हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर पलटवार किया है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने सोमवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर धोखाधड़ी को छुपाया नहीं जा सकता।
हिंडनबर्ग ने सोमवार को अपना जवाब देते हुए कहा कि अडानी समूह धोखाधड़ी को राष्ट्रवाद की आड़ में नहीं छिपा सकता है। रिसर्च समूह ने कहा कि ये जवाब हमारे द्वारा लगाए गए हर प्रमुख आरोप को नजरअंदाज करता है। यूएस-आधारित निवेश अनुसंधान फर्म ने कहा कि अडानी समूह ने मूल मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश की और जवाब देने की बजाय राष्ट्रवाद जैसे विषय को उठाकर विषय को दूसरी दिशा में ले जाने का प्रयास किया है।
मालूम हो कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में भारी उथल-पुथल नजर आई। गिरावट ने इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर LIC के हजारों करोड़ रुपये डुबो दिए। मतलब साफ था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने मार्केट के सेंटिमेंट को बुरी तरह से प्रभावित किया है। बाद में इस रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप की सफाई भी आई। अडानी समूह ने रिपोर्ट को भारत पर सोची-समझी साजिश के तहत हमला बताया।
बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से 88 सवाल उठाए थे। इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से पूछा गया है कि गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी को ग्रुप का एमडी क्यों बनाया गया है? उनके ऊपर कस्टम टैक्स चोरी, फर्जी इंपोर्ट डॉक्यूमेंटेशन और अवैध कोयले का इंपोर्ट करने का आरोप है। ऐसे कई सवाल हैं, जो अब हर किसी के दिमाग़ में आ रहा है।