संसद के मॉनसून सत्र से पहले सत्तारूढ़ एनडीए को भरोसा है कि वह, चीन के साथ सीमा विवाद और कोरोना महामारी से निपटने के सरकार के तरीके जैसे विषयों पर विपक्ष के संभावित हमलों की धार कुंद कर सकेगा। सरकार को लगता है कि चर्चाओं में विपक्षी दलों के बीच विभाजन साफ दिख सकता है।
भाजपा के सूत्रों ने इशारा किया कि सीमा पर तनाव के मुद्दे पर कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मोदी सरकार पर किए गए हमलों को किस तरह दूसरे विपक्षी दलों से बहुत कम समर्थन मिला है।
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भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘सरकार ने जिस तरह सीमा पर देश के हितों की रक्षा की है, वह सभी के सामने है। हमें विश्वास है कि इस मुद्दे पर किसी भी चर्चा के दौरान कांग्रेस अलग-थलग पड़ जाएगी।’ उन्होंने दावा किया कि अधिकतर गैर-एनडीए दलों ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन किया है।
कांग्रेस के 23 नेताओं द्वारा पार्टी संगठन में बदलाव की मांग करते हुए लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए बीजेपी के एक नेता ने दावा किया कि कांग्रेस में असहज स्थिति संसद में सामने आ सकती है।
आपको बता दें कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके समेत विपक्षी दल चीन के साथ सीमा पर तनाव जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों, कोरोना महामारी से निपटने, अर्थव्यवस्था तथा राज्यों को जीएसटी मुआवजे के भुगतान जैसे विषयों पर संसद में सरकार को मिलकर घेरने की योजना बना रहे हैं।
भाजपा भी विपक्ष, खासकर कांग्रेस के खिलाफ अपने आरोपों की फेहरिस्त तैयार रखेगी। जेपी नड्डा समेत शीर्ष पार्टी नेतृत्व गांधी परिवार से जुड़े फाउंडेशनों को चीन की सरकार से मिले कथित चंदे के मुद्दे को पहले से ही उठाता आ रहा है।
संसद सत्र में विपक्षी दल जहां सरकार पर निशाना साधने के लिए देश में कोरोना के मामलों में लगातार इजाफे की बात कर सकते हैं, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का मानना है कि देश में संक्रमण से कम मृत्यु दर और दूसरे गंभीर प्रभावित देशों की तुलना में प्रति दस लाख आबादी पर अपेक्षाकृत कम मामले एक सकारात्मक पहलू है।
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बीजेपी के एक नेता ने कहा कि महाराष्ट्र जैसे महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित कुछ राज्यों में विरोधी दलों की सरकारें हैं। एनडीए 1.70 लाख करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के विषय को उठा सकता है। उनके अजेंडे में ‘आत्म-निर्भर’ भारत भी होगा।