आपके आस-पास कई लोग होंगे जो कहते मिलेंगे कि कोरोना से कुछ नहीं होगा। बोल्ड रहिए। कांफिडेंस बना कर रखिए। हम इतना घूमते रहते हैं। कुछ नहींं हुआ है। ऐसे लोगों को आप किसी अस्पताल लेकर जाएं। जहां लोग अपनों को लेकर अस्पताल वाले से गिड़गिड़ा रहे होते हैं। भर्ती के लिए रो रहे होते हैं।
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तब उन्हें समझ आएगा कि कोरोना का संबंध आपके बोल्ड रहने या कांफिडेंस से नही होता है। यह एक ख़तरनाक वायरस है। जो आपके शरीर में प्रवेश करने के बाद कब किस रूप में घात लगाएगा किसी को पता नहीं होता है। आप चाहें बलशाली हों या बोल्ड हों, उससे कोरोना को फर्क नहीं पड़ता है। जो भी सज्जन आपको बोल्ड रहने की सलाह दे रहे हों, उनसे कुछ सवाल पूछें।
क्या आप इस बात को लेकर बोल्ड हैं कि ज़रूरत पड़ने पर अस्पताल में वेंटिलेटर वाला बेड दिला देंगे? ज़रूरी दवाएं दिला देंगे? आक्सीज़न सिलेंडर दिला देंगे? अगर नहीं तो कोरोना को लेकर बोल्ड और काफिडेंस वाला थ्योरी अपनी जेब में रखिए और जाइये।
कोरोना से हर किसी को डरना चाहिए। डरने का मतलब है सावधान रहने से है। अपने आप को सुरक्षित रखिए।कोरोना को ध्यान में रखते हुए अगले दो साल के लिए सामाजिकता बदल दीजिए।एक साल के लिए घर के भीतर किसी भी मेहमान के आने पर रोक लगा दीजिए। परिवार के सदस्यों की खातिरदारी भी बंद कर दीजिए।
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कोई आ भी गया तो चाय पानी कुछ न पूछें। जैसे ही आप चाय देंगे, वह मास्क उतारेगा और संक्रमित हो जाएगा। आपको संक्रमित कर देगा। मेहमान को भी बुरा नहीं लगना चाहिए।शादी ब्याह वैसे भी फालतू आयोजन हैं। इनमें जाने से बचिए। कोरोना के दौर में यह जितना व्यक्तिगत मामला रहे उतना ही अच्छा है। बेहतर है जिनके यहां शादी हैं वे भी लोगों को न बुलाएं और न ही आने के लिए दबाव डालें।
आर्थिक उपार्जन ज़रूरी है। यह चलते रहना चाहिए। इसलिए इसके लिए दूसरे नियम बनाइये। अगर आपको लगता है कि कोरोना वाकई कुछ नहीं है तो मेरी बात मान लीजिए. इस वक्त देश के किसी भी अस्पताल के बाहर पांच मिनट खड़े हो जाइये। फिर बताइयेगा।