नई दिल्ली : बिहार चुनावों में कांग्रेस के शर्मनाक प्रदर्शन पर तमाम राजनीतिक दलों ने टिप्पणी की, लेकिन कपिल सिब्बल ने जब वही बातें कहीं और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाए तो देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की अंदरूनी कलह एक बार फिर सामने आ गई.
कपिल सिब्बल ने कहा कि दिक्कत ये है कि राहुल गांधी डेढ़ साल पहले यह बात साफ कर चुके हैं कि वे अब कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनना चाहते, उन्होंने यह भी कहा था कि मैं नहीं चाहता कि गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति उस पद पर काबिज हो.
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इस बात के डेढ़ साल बीत जाने के बाद मैं ये पूछता हूं कि कोई राष्ट्रीय पार्टी इतने लंबे समय तक अपने अध्यक्ष के बिना कैसे काम कर सकती है, मैंने पार्टी के भीतर आवाज उठाई थी, हमने अगस्त में चिट्ठी भी लिखी, लेकिन किसी ने हमसे बात नहीं की, मैं जानना चाहता हूं कि डेढ़ साल बाद भी हमारा अध्यक्ष नहीं है, कार्यकर्ता अपनी समस्या लेकर किसके पास जाएं.
कपिल सिब्बल ने कहा कि एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए यह कठिन स्थिति है और तब जब वह सबसे पुरानी पार्टी हो, मैं किसी की क्षमता पर उंगली नहीं उठा रहा पार्टी के संविधानों की बात कर रहा कि चुनाव होना चाहिए.
अगर हम खुद अपने संगठनों में चुनाव नहीं करवाएंगे तो हम जो रिजल्ट चाहते हैं वो कैसे मिलेगा, यही बातें हमने अपनी चिट्ठी में कही थीं.
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कपिल सिब्बल ने कहा कि मैंने यह कब कहा, मैं पार्टी फोरम में बात कैसे रखूं जब मैं कभी सीडब्ल्यूसी का हिस्सा नहीं रहा, पार्टी का कोई अध्यक्ष भी नहीं है.
हमने अगस्त 2020 में जो चिट्ठी लिखी थी वो हमारी तीसरी चिट्ठी थी, गुलाम नबी जी इससे पहले दो चिट्ठियां लिख चुके थे, लेकिन फिर भी किसी ने हमसे बात नहीं की, इसलिए जब मुझे मौका मिला तो मैंने बात की.
कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं उनकी बातों पर कुछ नहीं कहना चाहता, पश्चिम बंगाल में चुनाव हैं, उन्हें अपनी पूरी एनर्जी उस पर फोकस करनी चाहिए, अधीर को पता होना चाहिए कि चुनावों के दौरान पार्टी स्टार कैंपेनर की लिस्ट जारी करती है.
अगर पार्टी ने मुझसे कहा होता कि आप जाइए और बिहार में प्रचार करिए तो मैं जरूर जाता, मेरा नाम स्टार कैंपेनर की लिस्ट में नहीं था, मुझे आश्चर्य है कि उनके जैसा बड़ा नेता और कांग्रेस के संसदीय दल का नेता इतनी छोटी बात नहीं समझता, फिलहाल मैं उन्हें यही सलाह दूंगा कि वो पश्चिम बंगाल के चुनावों पर फोकस करें.