नई दिल्ली: केजरीवाल ने कहा उत्तर भारत में प्रदूषण का कारण बना पराली के समाधान के लिए बायो डी-कंपोजर तकनीक बहुत ही कारगर साबित हुई है। उन्होंने कहा कि पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने 24 गांवों में जाकर पराली पर बायो डी-कंपोजर के छिड़काव से मिले परिणाम को सकारात्मक बताया है।
जिसमें छिड़काव के 20 दिन बाद 70 से 95 फीसदी पराली गलकर खाद में तब्दील हो गई। इसे अब सभी राज्यों में लागू करना चाहिए।
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सीएम केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेस के जरिए बताया कि हम एयर क्वालिटी कमीशन में याचिका दायर करने जा रहे हैं और कमीशन से इस घोल का प्रयोग सभी राज्यों में अनिवार्य रूप से करने के लिए दिशा निर्देश जारी करने की मांग करेंगे। बायो डीकंपोजर घोल पराली का बहुत सस्ता समाधान है। एक एकड़ जमीन पर केवल 30 रुपए का खर्च आ रहा है। यह करके हम दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत को पराली के प्रदूषण से बचा सकते है।
केजरीवाल ने कहा कि पिछले 10 से 12 सालों से अक्टूबर और नवंबर महीने में पराली जलने की वजह से पूरा उत्तर भारत प्रदूषण से परेशान रहता है। सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली का किसान परेशान रहता है। मैंने कई बार किसानों से बात की है। किसानों का कहना है कि वे भी पराली नहीं जलाना चाहते हैं। पराली जलाने की वजह से सबसे ज्यादा धुंआ उनके गांव के अंदर होता है। किसान दुखी हैं, दिल्ली के लोग दुखी हैं, पंजाब के लोग दुखी हैं,
हरियाणा के लोग दुखी हैं। मगर इसपर कोई ठोस काम नहीं हुआ। हर साल सिर्फ शोर होता है, राजनीति होती है, बयानबाजी होती है, लेकिन इसका समाधान नहीं निकाला गया। मैं आज पूसा इंस्टीट्यूट, जो हमारे देश का खेती के मामले में सबसे अहम संस्थान है। उनका शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने बायो डी- कंपोजर से इसका समाधान निकाला।
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सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के करीब 2000 एकड़ के आसपास जमीन है। हमने दो हजार एकड़ जमीन पर दिल्ली सरकार की तरफ से निशुल्क बायो डीकंपोजर घोल का छिड़काव कराया। 13 अक्टूबर से खेतों में छिड़काव होना शुरू हुआ था और 10 दिनों में छिड़काव पूरा हुआ। फिर बीस दिन बाद पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने दिल्ली के 24 अलग-अलग गांवों में जाकर यह रिपोर्ट तैयार की तो पाया कि परिणाम बहुत अच्छे है।
70 से 95 फीसदी तक पराली खाद में तब्दील हो गई है। मेरी बस इतनी मांग है कि पराली का समाधान निकल गया अब बारी सभी सरकारों को अपने यहां यह प्रयोग करने की है। जिससे दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत को पराली के प्रदूषण से बचाया जा सके।