हालिया भू-राजनीतिक समीकरणों में तेजी से आये बदलावों ने भारत-आस्ट्रेलिया को करीब ला खड़ा किया है। इन हालात में दोनों देशों के संबंधों के 75 साल पूरे होने ने नये रंग भरे हैं। जिसकी मिसाल है कि आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने पहले भारत दौरे में गुजरात में खूब होली खेली। फिर वीरवार को भारत-आस्ट्रेलिया के बीच खेले जा रहे चौथे क्रिकेट टैस्ट मैच का लुत्फ उठाया।
दरअसल, दोनों देशों के बीच मैत्री के 75 साल पूरे होने पर आयोजित शिखर सम्मेलन में भाग लेने हेतु अल्बनीज चार दिवसीय भारत यात्रा पर हैं। भारत रवाना होने से पहले अल्बनीज ने कहा था कि आस्ट्रेलिया- भारत के मध्य गहरी दोस्ती है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ हमारे साझा हितों, लोगों के बीच संबंध और खेल में अनूठी प्रतिद्वंद्विता पर केंद्रित है। अल्बनीज अपने वरिष्ठ मंत्रियों और एक बड़े व्यापार प्रमुखों के प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आये हैं।
हालांकि, अल्बनीज की यह पहली भारत यात्रा है लेकिन वे कई सम्मेलनों में पिछले साल तीन बार प्रधानमंत्री मोदी से मिल चुके हैं। इस शिखर सम्मेलन के अलावा इस साल आस्ट्रेलिया में क्वाड शिखर सम्मेलन तथा सितंबर में भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भी दोनों नेता मिलेंगे।
दरअसल, दोनों देशों के संबंधों को रवानी 2020 में रणनीतिक साझेदारी के बाद मिली। आज करीब सात लाख भारतीय मूल के लोग आस्ट्रेलिया के सेवा व अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। करीब नब्बे हजार से अधिक भारतीय छात्र आस्ट्रेलिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत हैं।
वहीं कारोबारी रिश्तों में खासा उछाल आया है। उम्मीद है इस सालाना शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री अल्बनीज के साथ आये उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ कारोबारी रिश्तों को नयी दिशा मिलेगी। विश्वास है कि लेबर पार्टी की सरकार के दौरान दोनों देशों के बहुआयामी रिश्तों को बढ़ावा मिलेगा। वैसे हाल के वर्षो में भारत-आस्ट्रेलिया के रिश्तों में अभूतपूर्व उछाल देखने को मिला है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में तीन दशक बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के आस्ट्रेलिया दौरे के बाद दोनों देशों के संबंधों को नये आयाम मिले हैं। इस बीच संबंध सुधारने के प्रयास तो होते रहे, लेकिन अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आये। कालांतर दोनों लोकतांत्रिक देशों ने बेहतर तालमेल से रिश्तों की नयी इबारत लिख दी। सामारिक चुनौती तथा आर्थिक जरूरतों ने इन रिश्तों को रवानी दी।
जिसमें भू-राजनीतिक समीकरणों की भी बड़ी भूमिका रही। दरअसल, चीन आस्ट्रेलिया का बड़ा आर्थिक साझेदार रहा है, लेकिन हाल के दिनों में दोनों के संबंधों में खटास आयी है । फिर आस्ट्रेलिया ने चीन पर निर्भरता कम करने के लिये व्यापार व विदेशी निवेश की भागेदारी के नये प्रयास किये। आस्ट्रेलिया चाहता था कि व्यापारिक साझेदारों के साथ विविधता लायी जाये। दरअसल, आस्ट्रेलिया अपनी अर्थव्यवस्था को सुरक्षित बनाना चाहता है।
जिसके चलते भारत के साथ निवेश, व्यापार, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों, रक्षा, सुरक्षा और तकनीकी साझेदारी बढ़ाने के लिये आस्ट्रेलिया इच्छुक नजर आया। भारत को मजबूत रणनीतिक व कारोबारी साझेदार मानते हुए आस्ट्रेलिया ने रिश्तों को नये सिरे से परिभाषित किया। दरअसल, हाल के दिनों में चीन के साथ कारोबारी रिश्तों में आये गतिरोध के बाद आस्ट्रेलिया नये बाजार की तलाश में है।
दोनों देशों के करीब आने की वजह भारत की अमेरिका व जापान के साथ क्वाड में सक्रिय साझेदारी भी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले इन देशों में साझेदारी का नैसर्गिक आधार भी है क्योंकि ये देश लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर भी हैं। विगत में दोनों देशों के बीच हुए संयुक्त सैन्य अभ्यासों ने संबंधों को नये आयाम दिये।
क्वाड का सदस्य होने के नाते भारत ने त्रिपक्षीय ऑक्स साझेदारी के प्रति सकारात्मक प्रतिसाद भी दिया। चीन के साथ तल्ख हुए रिश्तों ने भी इस सामरिक साझेदारी की जरूरत को महसूस कराया। वहीं भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के निरंकुश व्यवहार पर लगाम लगाने के लिये आस्ट्रेलिया से दोस्ती को अपरिहार्य मानता रहा है। गत दिसंबर में लागू मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के गहरे होते रिश्तों का पर्याय भी है।