रवीश कुमार
28 जुलाई के दिन PIB की प्रेस रिलीज है।इसमें नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर सरकार ने जवाब दिया है। बताया है कि गंगा के प्रदूषण को दूर करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। इसी के क्रम में गंगा में 56 लाख मछलियां छोड़ी गई हैं। मछलियों को गिना तो जा ही सकता है लेकिन इन मछलियों के छोड़े जाने का कोई बड़ा अभियान हुआ होगा? कौन कौन मंत्री गए होंगे? 56 लाख मछलियां एक साथ छोड़ दी गईं या अलग-अलग समय में छोड़ी जाती रहीं? इसे मीडिया ने किस तरह कवर किया होगा?
एक सवाल और है। इन्हें किस तरह गिना गया होगा, 56 लाख मछलियों को गिनना आसान नहीं है। अधिकारी ने सामने खड़े होकर गिनवाया होगा? इसका ऑडिट कैसे होगा? मछलियां किससे ख़रीदी गईं, स्थानीय मछुआरों से या किसी कंपनी से? क्या ऐसा हो सकता है कि मछलियां छोड़े जाने के बाद मछुआरों से ही पकड़ लिया होगा? अगर उन मछलियों को पकड़ कर लोगों ने खा-पका लिया होगा तो गंगा को साफ करने का मकसद कैसे पूरा हुआ होगा? यही सब मन में सवाल आ रहे हैं। यही कि 56 लाख की संख्या पर अधिकारी किस हिसाब से पहुंचे होंगे? 60 लाख या 1 करोड़ क्यों नहीं छोड़ी जा सकती थीं? PIB की प्रेस रिलीज़ में नहीं बताया है कि 56 लाख मछलियां किस भाव से ख़रीदी गईं?
29 सितंबर 2021 के पत्रिका अख़बार में ख़बर छपी है कि यूपी का मत्स्य पालन विभाग 12 ज़िलों में मछलियां छोड़ने की योजना बना रहा है। पत्रिका में अधिकारियों ने बताया है कि मछलियां छोड़ी जाती हैं क्योंकि मछलियां नाइट्रोजन के स्तर को बढ़ाने वाले कारकों को नष्ट कर देती हैं।