नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में रहने वाले झुग्गीवालों को एक बड़ा तोहफा दिया है। उन्होंने कहा है कि ‘मैं रेलवे लाइन और पटरियों के आसपास रहने वाले दिल्ली के 48,000 झुग्गीवालों को पक्का घर दूंगा। SC के आदेश के अनुसार इन झुग्गियों को तोड़ना है। सभी को अपनी झुग्गी के 5 किमी के दायरे में मकान दिए जाएंगे।’
केन्द्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि दिल्ली में 140 किमी लंबी रेल लाइन के साथ स्थित झुग्गियों को सरकार द्वारा अंतिम निर्णय लिये जाने तक नहीं हटाया जायेगा।
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सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ को जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इस बारे में रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय के परामर्श से फैसला किया जायेगा। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने मेहता के इस आश्वासन को दर्ज किया कि इन झुग्गी बस्तियों के खिलाफ चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जायेगी।
शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को एक फैसले में दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी 48,000 झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि इस आदेश पर अमल में किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हो।
न्यायालय दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी इन झुग्गियों को हटाने से पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था कराने के लिये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन के आवेदन पर सुनवाई कर रहा था।
रेलवे ने सोमवार को कहा कि शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार के साथ मिलकर उचित फैसला लिए बिना वह कोई भी अतिक्रमण नहीं हटाएगा। रेलवे का यह बयान उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे मौजूद 48 हजार झुग्गियों को हटाने के दिए आदेश के बाद उठे राजनीतिक तूफान के बाद आया है।
उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त को तीन महीने में झुग्गियों को हटाने का आदेश दिया। 1 अनुमान है कि नारायणा विहार, आजादपुर, शकूर बस्ती, मायापुरी, श्रीनिवासपुरी, आनंद पर्वत, ओखला और अन्य स्थानों पर बनी झुग्गियों में 2.40 लाख लोग रहते हैं।
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उत्तर रेलवे ने शीर्ष अदालत में दाखिल रिपोर्ट में कहा कि पटरियों के किनारे बनी झुग्गियों की वजह से साफ-सफाई में बाधा उत्पन हो रही है। उत्तर रेलवे ने बयान में कहा, रेलवे 31 अगस्त 2020 को एमसी मेहता बनाम भारत सरकार के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का अनुपालन करने के लिए सभी कदम उठा रहा है।