विपक्षी एकता की पटना में पहली बड़ी बैठक संपन्न हो गई है। लेकिन इस बैठक के बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से अलग ही बयान सामने आया है। जोर देकर कहा गया है कि जिस मीटिंग में कांग्रेस हिस्सा लेगी, वहां आम आदमी पार्टी नहीं जाएगी। बताया जा रहा है कि अध्यादेश विवाद की वजह से ही आम आदमी पार्टी खफा हो गई है और उसने विपक्षी एकता वाली बैठक के बाद ही ये बयान जारी किया है।
अग्निबाण न्यूज़ पोर्टल के अनुसार आम आदमी पार्टी ने कहा, जब तक 31 राज्यसभा सांसदों वाली कांग्रेस पार्टी सार्वजनिक रूप से इस अध्यादेश का विरोध नहीं करेगी तब तक आम आदमी पार्टी के लिए भविष्य में होने वाली ऐसे बैठकों में जहां कांग्रेस हिस्सा ले रही हो वहां हिस्सा लेना मुश्किल होगा। बैठक में मौजूद 15 पार्टियों में से 12 पार्टियों के राज्यसभा में सांसद हैं। इन 12 पार्टियों में से 11 पार्टियों ने अध्यादेश पर अपना स्टैंड साफ कर दिया है और अध्यादेश का विरोध करने का फैसला किया है।
आप ने कहा कि केंद्र सरकार के काले अध्यादेश के ख़लिाफ़ कांग्रेस की चुप्पी उसके इरादों पर संदेह पैदा करती है। ‘आप’ ने बयान जारी करके कहा कि कांग्रेस की यह चुप्पी उसके इरादों पर संदेह पैदा करती है। व्यक्तिगत चर्चाओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अनौपचारिक या औपचारिक रूप से राज्यसभा में अध्यादेश पर मतदान की प्रकिया से दूर रह सकती है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस के खिलाफ आप के कई भड़काऊ बयानों का जिक्र किया। खरगे ने इस बैठक से पहले केजरीवाल के बयान का भी जिक्र किया। केसी वेणुगोपाल ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कोई कांग्रेस के सिर पर बंदूक रखकर कोई बातचीत की मांग नहीं कर सकता।