उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में खेतिहर मजदूर सलाउद्दीन के 17 वर्षीय बेटे मोहम्मद इरफान ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद बोर्ड की उत्तर मध्यमा । (कक्षा 12) की परीक्षा 82.71% अंक हासिल कर टॉप की है। संस्कृत शिक्षक बनने का सपना देखने वाले इरफान कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में टॉप-20 में आने वाले छात्रों में एकमात्र मुस्लिम हैं। मोहम्मद इरफान की इस कामयाबी पर उनके पिता काफी खुश हैं।
संस्कृत शिक्षक बनने की इच्छा रखने वाले इरफान कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं की परीक्षाओं में टॉप 20 स्कोर करने वालों में एकमात्र मुस्लिम हैं। उन्होंने कक्षा 12वीं की परीक्षा में बैठने वाले 13,738 छात्रों को पछाड़ा। कक्षा 10वीं की परीक्षा (पूर्व मध्यमा-द्वितीय) में बलिया जिले के आदित्य 92.50 प्रतिशत के साथ प्रथम स्थान पर रहे।
अनिवार्य संस्कृत प्रथम में इरफान को 50 में 19 नंबर मिले हैं जबकि अनिवार्य संस्कृत द्वितीय प्रश्न पत्र में इरफान को मात्र 20 अंक मिले हैं। इसके अलावा साहित्य प्रथम में 100 में 93, साहित्य द्वितीय में 100 में 83, हिंदी में 100 में 82, समाजशास्त्र में 100 में 87, भूगोल में 100 में 97 और अंग्रेजी विषय में 100 नंबरों में 70 नंबर प्राप्त हुए हैं। उत्तर मध्यमा के प्रथम वर्ष में इरफान ने कुल 700 अंकों में 607 अंक प्राप्त किए हैं। 11वीं और 12वीं दोनों वर्ष के नंबरों को मिलाकर कुल 1400 अंको में इरफान को 1158 अंक मिले हैं।
इरफान के पिता का कहना है कि कि मैं एक खेतिहर मजदूर हूं, जिसे 300 रुपये की दिहाड़ी मिलती है। इतना ही नहीं, मुझे हर महीने में मुश्किल से कुछ दिन ही काम मिलता है। उन्होंने कहा कि मैं इरफान को किसी निजी स्कूल में नहीं पढ़ा सकता था। या किसी अन्य स्कूल में भेजने का जोखिम नहीं उठा सकता था। वह मेरा इकलौता बच्चा है। चंदौली जिले की सकलडीहा तहसील के जिंदसपुर गांव के निवासी सलाउद्दीन ने कहा कि संपूर्णानंद संस्कृत स्कूल में सालाना फीस मात्र 400-500 रुपये है।