सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आधार बैंकिंग धोखाधड़ियों को रोकने के लिए ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने कहा केवल कुछ आतंकवादियों को पकड़ने के लिए पूरी जनता से अपने मोबाइल फोन आधार से जोड़ने के लिए कहना क्या सही है?
शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंक अधिकारियों की धोखाधड़ी करने वालों से साठगांठ होती है। अदालत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि घोटाले इसलिए होते हैं क्योंकि अपराधी अज्ञात होते हैं। अदालत ने ये टिप्पणियां उस समय कीं जब केन्द्र ने दलील दी कि आधार आतंकवाद और बैंक संबंधी धोखाधड़ी जैसी समस्याओं पर रोक लगाने में मदद करेगा।
न्यायालय ने सवाल किया कि अगर कल को अधिकारी प्रशासनिक आदेशों के जरिये नागरिकों से आधार के तहत डीएनए और रक्त के नमूने देने के लिए कहने लगें तो क्या होगा।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने आधार और इसके 2016 के कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केन्द्र की दलील पर पहली नजर में असहमति जताई और कहा कि आधार बैंकिंग धोखाधड़ी का समाधान नहीं है।
पीठ ने कहा, ” धोखाधड़ी करने वालों की पहचान के बारे में कोई संदेह नहीं है। बैंक जानती है कि वह किसे ऋण दे रही है और बैंक अधिकारियों की धोखाधड़ी करने वालों से साठगांठ होती है। आधार इसे रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकता।