नई दिल्लीः कर्नाटक में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य में राजनीतिक दलों के नेताओं के दौरों का दौर चल रहा है। कल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी दोनों ही, कर्नाटक की जनता को लुभाने के लिए दौरे पर आये हुए थे। इस दौरान दोनों नेताओं ने अपने भाषणों में एक दूसरे पर आरोप लगाए। इस दौरान अमित शाह ने लिंगयात समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने पर कांग्रेस को घेरा।
अमित शाह का कहना है कि वीराशैव-लिंगायत समुदाय पर सिद्धारमैया सरकार का प्रस्ताव चिंताजनक है, यह एक षड्यंत्र है। सिद्धारमैया सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले लोगों को गुमराह करने के लिए यह कदम उठाया है। अमित शाह ने इसे कांग्रेस की एक साज़िश बताया है, उनका कहना है की राज्य की कांग्रेस सरकार बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकने और समुदाय को बांटने के उद्देश्य से लिंगायतों के लिए धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा उठा रही है। उनका मकसद बीएस येदियुरप्पा को अगला मुख्यमंत्री बनने से रोकना है। लेकिन बीजेपी उन्हें इन मंसूबो में कामयाब नहीं होने देगी।
इससे अमित शाह कई रैलियों में कह चुके हैं कि लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने से हिंदू धर्म में बंटवारा हो जाएगा। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या करीब 18 प्रतिशत है। इसके साथ पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की अच्छी खासी आबादी है। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। साल 2013 में बीजेपी ने येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाया था तब लिंगायत समाज ने बीजेपी को वोट नहीं दिया था। कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने 19 मार्च को वीरशैव-लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने का सुझाव मंजूर किया था।