मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार ने पांच सतों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है। शिवराज सरकार का ये फैसला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले संतों में कम्प्यूटर बाबा का नाम भी शामिल है। कंप्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है। तीन साल पहले ये बाबा उस समय चर्चा में आए थे जब इन्होंने प्रशासन से अपने जहाज को घाट पर उतारने की इजाजत मांगी थी, जिससे की वो कुंभ मेला के दौरान गंगा में नहा सके।
दरअसल, कंप्यूटर बाबा नर्मदा में अवैध उत्खनन और नर्मदा परिक्रमा के दौरान पौधारोपण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर नर्मदा घोटाला रथ-यात्रा शुरू करने वाले थे। लेकिन यात्रा शुरू करने से पहले ही शिवराज सरकार ने बाबा से यात्रा न करने की ‘डील’ कर बाबा को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया।
दरअसल 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान कंप्यूटर बाबा आप से टिकट चाहते थे और उस समय वो बीजेपी और आरएसएस पर जम कर कटाक्ष भी करते थे। फरवरी 2015 में बाबा ने कहा था कि मैं भगवा पार्टी में जाने की बजाय आप में जाना पसंद करूंगा, क्योंकि बीजेपी और आरएसएस ने साधुओं का सिर्फ शोषण किया है।
गौरतलब है कि शिवराज सरकार में मंत्री का दर्ज बनाए जाने पर कंप्यूटर बाबा ने कहा कि अब भी वे नर्मदा संरक्षण के लिए काम करेंगे। हमें समिति के सदस्य के रूप में नर्मदा नदी को बचाने के लिए जिलाधिकारियों से बात करनी होगी और दूसरे जरूरी इंतजाम करने होंगे।
जिन योगेंद्र महंत को कम्प्यूटर बाबा के साथ विशेष समिति में शामिल कर राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है, वह ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ के संयोजक थे। बहरहाल, राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद महंत ने भी कहा कि नर्मदा नदी को बचाने के लिये समिति बनाये जाने की मांग प्रदेश सरकार द्वारा पूरी किये जाने के कारण यह यात्रा निरस्त कर दी गई है।