आम आदमी पार्टी का जब से गठन हुआ तब से ही इसे एक ईमानदार और घोटालो से दूर रहने वाली पार्टी के तौर पर देखा गया है। यही वजह है कि इस पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं को ईमानदारी की मिसाल समझ कर पेश किया जाता है।
चूंकि ये संचार युग है बल्कि संचार की जगह प्रचार युग कहना अधिक उचित होगा, जहाँ छोटे से कार्य को भी बड़ा कर के प्रचारित किया जाता है। बल्कि उन कार्यों को भी प्रचारित किया जाता है जो किये भी नहीं होते हैं।कई बार इन प्रचार की वजह से सत्ता पक्ष के अच्छे कार्य जनता के सामने आते हैं तो कई बार बड़े घोटालों से पर्दा भी इस प्रचारतंत्र के कारण ही उठता है। सभी को याद होगा कि आम आदमी पार्टी ने कुछ दिन पहले एक फ्लाईओवर का कार्य बजट से भी कम लगत में निपटा दिया था जिसका बड़े पैमाने पर प्रचार किया गया था। इस कार्य से दिल्ली में ही नहीं पूरे देश में केजरीवाल सहित सभी आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने वाह वाही लूटी थी।
उसी तरह का एक मामला फिर सामने आया है जिसे आम आदमी पार्टी के ओखला विधान सभा के विध्यक अमानतुल्लाह खान ने अंजाम दिया है। लेकिन यह मामला उससे बस थोड़ा सा अलग है। फ़र्क़ सिर्फ इतना है कि उस फ्लाईओवर का कार्य लागत से कम में निपटा दिया था और इसे ज्यादा में।
आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने अपने फेस बुक पेज पर 27 मई 2018 को एक पोस्ट डाली थी।
जिसमे लिखा है कि इन्होने ओखला में सड़क निर्माण का कार्य कराया है जिसकी लागत 2 करोड़ 66 लाख है, इसका पैसा भी सरकार ने अदा कर दिया है। इसके प्रमाण के तौर पर इन्होने इस राशि के चेक की फोटो भी अपने फेसबुक पेज पर अपडेट की है।
लेकिन इस काम के जो होर्डिंग जगह जगह इन्होने अपने क्षेत्र में लगवाये हैं, उन पर इस कार्य की लगत 1 करोड़ 66 लाख लिखी हुई है।
अब सवाल यह है कि अमानतुल्लाह खान ने 1 करोड़ की राशी का झूठ क्यों बोला? क्या अमानतुल्लाह खान ने 1 करोड़ का घोटाला किया है? क्या होर्डिंग बिना अमानतुल्लाह को दिखाए ही लगा दिए गए हैं? क्या अमानतुल्लाह खान के सपोर्टरों का गणित ख़राब है? क्या २ करोड़ और १ करोड़ में कोई अंतर उन्हें समझ नहीं आता है? सवाल यह भी है कि इस 1 करोड़ में अमानतुल्लाह के आलावा किस किस का हिस्सा था? ऐसे ही और भी बहुत से सवाल है जो लोगों के मन में उठेंगे।क्या ईमानदारी की मिसाल की तरह अपने आपको पेश करने वाले अरविन्द केजरीवाल को भी इस बात का इल्म है?अगर है तो उन्होंने इस पर सवाल क्यों नहीं किये है।
क्या इन सब सवालों के जवाब जनता को मिलेंगे या ये सवाल भी किसी दुसरे मुद्दों पर उठे सवालों के बोझ में दब जाएंगे।
रिपोर्ट नौशाद