दिल्ली दंगों के दौरान UAPA के मामले में पकड़ी गईं स्टूडेंट एक्टिविस्ट देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा की बेल रद कराने की कोशिश में दिल्ली पुलिस को मुंह की खानी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज करने से साफ इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि आरोपी दो साल से जमानत पर हैं। इसलिए जमानत रद्द करने का कोई आधार नहीं बनता। इन तीनों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां यानी UAPA के तहत मुकदमा चल रहा है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा , हम मामले के संबंध में किसी भी तरह से कानूनी स्थिति में नहीं गए हैं। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होकर पीठ के समक्ष विशेष रूप से यह स्पष्ट करने के लिए जोर दिया कि हाईकोर्ट के आदेश को एक मिसाल के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
दरअसल पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों को दिल्ली दंगा मामले में जमानत दी थी। हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। हालांकि सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया।