दरअसल मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने माना है कि जाकिर नाईक ने भारत में नफरत फैलाने वाले भाषण दिए। महाथिर ने नाईक के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा कि उन्होंने देश में नस्लीय तनाव पैदा करने की कोशिश की। नाईक की स्थायी निवास पर टिप्पणी करते हुए मलेशियाई पीएम ने कहा कि उन्हें अभी तक यह पता नहीं चल पाया कि विवादास्पद उपदेशक को पीआर का दर्जा किसने दिया और कहा कि स्थिति रखने वालों को राजनीति में भाग लेने की अनुमति नहीं है।
पीएम ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि धार्मिक शिक्षक उपदेश दे सकते हैं लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे। वह चीन को चीन और भारतीयों को वापस भारत भेजने की बात कर रहे थे। पीएम ने कहा कि मैंने इस तरह की बातें कभी नहीं की हैं, लेकिन वह (जाकिर नाईक) चीनियों को वापस जाने के लिए कह रहे हैं। यदि आप धर्म के बारे में बात करना चाहते हैं तो आगे बढ़ें, हमे कोई दिक्कत नहीं, हम रोकना भी नहीं चाहते। लेकिन यह स्पष्ट है कि मलेशिया नस्लीय राजनीति में शामिल होना नहीं चाहता है। वे नस्लीय भावनाओं को भड़का रहे जो कि गलत है।
वहीं मीडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हम जो भी कार्रवाई करेंगे वह कानून के अनुसार होगी। क्योंकि यह सरकार कानून का सम्मान करती है। दूसरी ओर से मलेशिया में नस्लीय टिप्पणी मामले में मुस्लिम धर्मगुरु जारिक नाइक की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सीआईडी डायरेक्टर दाटुक हुजिर मोहम्मद ने बताया कि नाईक का सोमवार को दूसरी बार अपना बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस मुख्यालय में बुलाया गया है।