यूपी में निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने के लिए आयोग का गठन कर दिया गया है। आयोग में अध्यक्ष के साथ चार सदस्यों को नामित किया गया है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया गया है। आयोग में दो पूर्व आईएएस और दो न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को सदस्य बनाया गया है। सीएम योगी ने मंगलवार को हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ही आयोग का गठन करने और ओबीसी को आरक्षण देने के बाद ही चुनाव कराने की घोषणा की थी।
इस आयोग में रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह, रिटायर्ड आईएएस चोब सिंह, रिटायर्ड आईएएस महेंद्र कुमार, भूतपूर्व अपर विधि परामर्शी संतोष विश्वकर्मा और पूर्व जिला जज बृजेश सोनी शामिल हैं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 762 नगरीय निकायों में चुनाव होने थे। इन नगरीय निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर से 19 जनवरी 2023 के बीच खत्म होना है। इन निकायों में चुनाव के लिए सरकार ने ओबीसी कोटे का ड्राफ्ट भी जारी कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 साल पहले सरकार को ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला’ अपनाने की बात कही थी। इतना लंबा समय बीतने के बाद भी उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। उसने कहा कि जब तक ट्रिपल टेस्ट में बताई गई सारी बातों को राज्य सरकार पूरा नहीं करती तब तक पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को निकाय चुनावों में आरक्षण उपलब्ध नहीं कराया जाएगा।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का रुख किया है। बीजेपी निकाय चुनाव कराने की जल्दबाजी में ओबीसी वोटरों को नाराज नहीं करना चाहती है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी ओबीसी वोटरों की ही राजनीति करती है और उसका कोर वोट बैंक भी ओबीसी ही माना जाता है।