उत्तर प्रदेश सरकार कैबिनेट मीटिंग के दौरान नेताओं पर मोबाइल फोन के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दिया है। बताया जा रहा है कि योगी सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की हैकिंग और जासूसी के खतरे को देखते हुए ये फैसला लिया।
सभी लोग सीएम के निर्देशों का पालन करें। मंत्रियों के निजी सचिवों से कहा गया है कि वह यह निर्देश अपने-अपने मंत्रियों के संज्ञान में ले आएं। सभी अपर मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों से भी कहा गया है कि इसका पालन करें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह निर्देश इसलिए दिया है कि मंत्रिमंडल की बैठकों में होने वाली चर्चा पूरी गंभीरता और बिना किसी व्यवधान के हो। कैबिनेट की बैठकों में मंत्रियों के फोन अचानक बजने से बैठक में दिक्कतें आती हैं। यही नहीं, बैठक के वक्त फोन पर आने वाले मैसेज पढ़ने से अच्छा संदेश नहीं जाता है। हालांकि कुछ मंत्री सीएम द्वारा बुलाई बैठकों में जाने से पहले मोबाइल अपने निजी सचिवों को दे देते हैं, लेकिन यह काम उन्हें भूतल पर ही करना होता है।
फोने के लिए टोकन की व्यवस्था
नई व्यवस्था में मंत्रियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए टोकन की व्यवस्था की गई है। इसका जिम्मा सामान्य प्रशासन विभाग को दिया गया है। इसके तहत जब मंत्री मंत्रिपरिषद कक्ष में सीएम द्वारा बुलाई गई बैठकों में जाएंगे तो वह मोबाइल फोन टोकन लेकर बाहर जमा कराएंगे। बाद में कक्ष से बाहर आने पर टोकन के जरिए उसे वापस ले सकेंगे।
सचिवों को भी जमा कराना होगा फोन
कैबिनेट जैसी अति महत्वपूर्ण बैठकों में भी मंत्रियों के फोन के प्रयोग को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है। इसीलिए अब मंत्री के साथ साथ अब संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को भी मोबाइल जमा कराना होगा। इस बारे में मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने बाकायदा एक आदेश जारी किया है।
गोपनीयता भी रहेगी बरकार
मुख्यमंत्री के इस आदेश से अति महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक की गोपनीयता भी बरकरार रहेगी। मुख्यमंत्री का यह आदेश इस नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसा कई बार देखा गया है कि मंत्रियों के अलावा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मुख्यमंत्री की बैठक में भी मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं।