बेंगलुरु: बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राज्य में ‘टीपू जयंती’ समारोह को रद्द कर दिया। पूर्ववर्ती मैसूर साम्राज्य के 18वीं सदी के विवादित शासक टीपू सुल्तान की जयंती पर समारोह का आयोजन 2015 से हो रहा था। बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली नई सरकार ने सत्ता में आने के तीन दिन के भीतर यह आदेश पारित किया। एक दिन पहले ही राज्य विधानसभा में येदियुरप्पा की सरकार ने विश्वासमत हासिल किया था।
सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2015 में ‘टीपू जयंती’ के अवसर पर 10 नवंबर को वार्षिक समारोह के आयोजन की शुरुआत की थी। भाजपा एवं अन्य के विरोध के बावजूद एचडी कुमारस्वामी नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार ने पिछले साल भी इसे जारी रखा था।
पूर्ववर्ती मैसूर साम्राज्य के 18वीं सदी के विवादित शासक टीपू सुल्तान की जयंती पर आयोजित होने वाले वार्षिक समारोह को कनार्टक की भाजपा सरकार ने मंगलवार को रद्द कर दिया। इस समारोह का आयोजन 2015 से हो रहा था। बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली नई सरकार ने सत्ता में आने के तीन दिन के भीतर यह आदेश पारित किया। एक दिन पहले ही राज्य विधानसभा में येदियुरप्पा की सरकार ने विश्वासमत हासिल किया था।
सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2015 में टीपू जयंती के अवसर पर 10 नवंबर को वार्षिक समारोह के आयोजन की शुरुआत की थी और भाजपा और अन्य के विरोध के बावजूद एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जदएस की गठबंधन सरकार ने पिछले साल भी इसे जारी रखा था।
सिद्धारमैया ने किया विरोध
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने इसपर विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि मैंने ही टीपू जयंती मनाना शुरू किया था। मेरे हिसाब से वे देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी थे। भाजपा के लोग धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं। राज्य में 2015 से भाजपा के विरोध के बाद भी टीपू जयंती मनाई जा रही थी। भाजपा का मानना है कि प्रदेश में कभी भी टीपू जयंती मनाने की परंपरा नहीं रही। कडगु के स्थानीय निवासी टीपू जयंती का विरोध करते रहे हैं।