नई दिल्ली : वर्ल्ड कप 2011 में भारत की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले गौतम गंभीर को समझ नहीं आता कि शुक्रवार को इस खिताबी जीत के 10 साल पूरे हो जाएंगे लेकिन इसके बावजूद लोग अब तक इसे लेकर इतने उत्सुक क्यों हैं.
2 अप्रैल 2011 को श्रीलंका के खिलाफ खेले गए फाइनल में गंभीर भारतीय जीत के नायकों में शामिल थे और उन्होंने 97 रन की पारी खेली थी जिसके बाद धोनी ने नाबाद अर्धशतक जड़ते हुए छक्का लगाकर टीम को जीत दिलाई थी.
गंभीर ने कहा ऐसा नहीं लगता कि यह कल की बात है, कम से कम मेरे साथ ऐसा नहीं है, इसे अब 10 साल बीत चुके हैं, मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो पीछे मुड़कर काफी अधिक देखता है, बेशक यह गौरवपूर्ण लम्हा था लेकिन अब भारतीय क्रिकेट के लिए आगे बढ़ने का समय है, शायद समय आ गया है कि हम जल्द से जल्द अगला विश्व कप जीतें.
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गौतम गंभीर का मानना है कि लोगों को अतीत की विश्व कप की जीतों को लेकर अधिक उत्सुक नहीं होना चाहिए क्योंकि टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और ऐसा उन्होंने अपनी पेशेवर जिम्मेदारी के तहत किया.
गंभीर ने कहा 2011 में हमने ऐसा कुछ नहीं किया जो हमें नहीं करना चाहिए था, हमें विश्व कप में खेलने के लिए चुना गया था, हमें विश्व कप जीतना था, जब हमें चुना गया तो हमें सिर्फ टूर्नामेंट में खेलने के लिए नहीं चुना गया, हम जीतने के लिए उतरे थे.
उन्होंने कहा जहां तक मेरा सवाल है अब इस तरह की कोई भावना नहीं बची है, हमने कोई असाधारण काम नहीं किया, हां हमने देश को गौरवांवित किया, लोग खुश थे, यह अब अगले विश्व कप पर ध्यान लगाने का समय है.
गंभीर को लगता है कि लगातार विश्व स्तरीय खिलाड़ी देने के बावजूद भारत को बड़ी प्रतियोगिताओं में सीमित सफलता मिलने का कारण शायद ‘पीछे मुड़कर’ देखना हो सकता है.
उन्होंने कहा अगर हम 2015 या 2019 विश्व कप जीत जाते तो शायद भारत को विश्व क्रिकेट में सुपर पावर माना जाता, इसे 10 साल हो चुके हैं और हमने कोई दूसरा विश्व कप नहीं जीता, इसलिए मैं अतीत की उपलब्धियों को लेकर अधिक उत्सुक नहीं होता.
गंभीर ने कहा अगर मैंने 97 रन बनाए तो मुझे यह रन बनाने के लिए ही चुना गया था, जहीर खान का काम विकेट हासिल करना था, हमें अपना काम करना था, हमने दो अप्रैल को जो भी किया उससे किसी पर एहसान नहीं किया.
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गंभीर ने कहा कहा मुझे समझ नहीं आता कि लोग पीछे मुड़कर 1983 या 2011 के शीर्ष पलों को क्यों देखते हें, हां, इसके बारे में बात करना अच्छा लगता है या यह ठीक है, हमने विश्व कप जीता लेकिन पिछले मुड़कर देखने की जगह आगे बढ़ना हमेशा अच्छा होता है.
यह पूछने पर कि क्या 2011 की टीम के खिलाड़ियों को लगभग एक साल तक लगातार खेलने का मौका मिला और विराट कोहली की अगुआई वाली मौजूदा टीम की तरह काफी विकल्प नहीं होने से क्या मदद मिली?