मेरे प्यारे देशप्रेमियों जिसका डर था… देखो वही हो गया, पीएम केयर्स फंड आपके केयर के लिए नहीं बल्कि पीएम मोदी को मशरूम खाने और विदेश यात्रा करने के लिए बनाया गया है।
क्योंकि आपने जो पैसा पीएम केयर्स फंड में दान किया था,अब मोदी सरकार ने उसे आपदा से अवसर में तब्दील कर साफ तौर पर जानकारी देने से मना कर दिया है।
दरअसल, RTI के तहत पीएम केयर्स फंड की ट्रस्ट डीड, सभी सरकारी आदेश की कॉपी, नोटिफिकेशन और सर्कुलर संबंधी भी जानकारी मांगी गई थी, इस RTI पर 29 मई को पीएमओ के पब्लिक इंफोर्मेशन अधिकारी ने यह कहकर खारिज कर दिया है कि ‘पीएम केयर्स फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है’।
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ऐसे में ‘पीएम केयर्स फंड’ का नाम सुनने में भले ही आपको सरकारी फंड या पब्लिक फंड जैसा लग रहा हो लेकिन हकीकत में PMO के जवाब से स्पष्ट है कि इसे सरकार द्वारा कंट्रोल नहीं किया जा रहा है।
अब सवाल तो ये खड़ा होता है कि इसे कौन कंट्रोल कर रहा है? फंड का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है? फंड को लेकर कौन फैसले ले रहा है? इस बात की भी क्या गारंटी है कि पीएम केयर्स फंड का गलत इस्तेमाल नहीं हो रहा होगा?
अब तो ये भी सम्भव है कि बीजेपी इस पैसे का इस्तेमाल विधायक और सांसद खरीदने में भी कर सकती है, सम्भवना तो ये भी बन रही है कि फंड का अगले चुनाव के प्रचार-प्रसार में इस्तेमाल किया जा सकता है!
आपको मालूम होना चाहिए कि ‘पीएम केयर्स फंड’ जिसे 4 कैबिनेट मंत्रियों ( प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री) और उनके ऑफिस के अधिकारियों द्वारा चलाया जा रहा है, लेकिन इसे पब्लिक अथॉरिटी बताने से खारिज कर दिया गया।
जबकि नियम कहते हैं कि पब्लिक अथॉरिटी में वो संस्थान या निकाय आते हैं, जिनका गठन खुद सरकार करती है, तो क्या ‘पीएम केयर्स फंड’ का गठन सरकार द्वारा नहीं किया गया है? क्या इस फंड को संवैधानिक पद पर बैठकर ‘बीजेपी केयर्स फंड’ बना दिया गया है?
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अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि पीएम केयर्स फंड का कैग द्वारा ऑडिट किया जाएगा या नहीं. इस मुश्किल हालात में देश की जनता के साथ खुलेआम लूट हुई है।
हमारा हक बनता है कि पीएम केयर्स फंड की एक एक जानकारी हमें मिले, क्योंकि ये पैसा किसी एक शख्स का नहीं बल्कि पूरे देश का पैसा है।
(ये लेख प्रशांत सिंह के फेसबुक वॉल से लिया गया है)