आज के समझदार, तर्कपूर्ण और बुद्धिमान समझने वाले नवयुवकों से जब यह कहा जाता है कि वह अध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ें तो उनका सीधा सा उत्तर होता है कि यह उनकी पैसा कमाने की आयु है न कि इन पुस्तकों को पढ़ने की या आध्यात्मिक ज्ञान को अर्जित करने की, जब उनकी आयु आएगी वह कर लेंगे और उनको इस विषय में कोई जानकारी रखने की इच्छा नहीं है।
अब एक साधारण मनुष्य के मन में प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या आध्यात्मिक ज्ञान केवल वृद्ध व्यक्तियों के लिए है? अध्यात्मिक ज्ञान की क्या कोई निश्चित आयु है? क्या धन कमाने से समस्त दुखों का अंत हो सकता है? ऐसे क्या क्या गुण है जो धन से नहीं अपितु अध्यात्मिक ज्ञान से ही प्राप्त किए जा सकते हैं?
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आध्यात्मिक ज्ञान के विषय को निम्न प्रकार से अवलोकन विश्लेषण किया जा सकता है।
1. आज समस्त संसार दुखों से त्रस्त है, धनी हो या निर्धन, पढ़ा लिखा हो या अनपढ़, सब शांति खोज रहे हैं और शांति की खोज में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, तीर्थ स्थान, जगह जगह धक्के खा रहे हैं परंतु यह सभी शान्ति केवल आध्यात्मिकता में है, इसलिए यह ज्ञान सभी आयु और सभी व्यक्तियों के लिए आवश्यक है।
2. विज्ञान ने बहुत उन्नति की है परंतु वह यह उन्नति मनुष्य को शांति नहीं दे सकी है और सब चिंतित हैं कि भविष्य का क्या होगा इन सब प्रश्नों के उत्तर वेदों, गीता और उपनिषदों में उपलब्ध है, जो सभी के लिए आज के समय में सभी आयु वर्ग के लिए आवश्यक है। यह आवश्यकता उनके लिए अधिक जो अधिक तर्क शील और अपने को बुद्धिशाली समझते हैं ।
3. अशांति का मूल कारण मनुष्य का धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान से पृथक हो जाना है जैसे जड़ से कटकर वृक्ष सूख जाता है वैसे ही मनुष्य आध्यात्मिक ज्ञान के बिना सुख के मूल से दुखी और अशांत हो जाता है इसलिए अध्यात्मिक ज्ञान की सभी आयु वर्ग में आवश्यकता है।
4. आज के समय में अधिकतर व्यक्ति धन में सुख और शांति ढूंढ रहे हैं परंतु जितना अधिक धन बढ़ रहा है उतनी ही अधिक अशांति भी बढ़ रही है और दुर्भाग्य से विश्व के सबसे अधिक धनी देश अमरीका में ही सबसे अधिक आत्महत्या करने वाले हैं ,आज वे भी शांति, हरे कृष्णा हरे रामा के नाम पर खोज रहे हैं।
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5. विद्वानों के अनुसार सुख शांति अधिकतर मनुष्यों के लिए छाया बन कर रह गई है जैसे छाया को पकड़ने वाला व्यक्ति जितनी छाया के पीछे भागता है उतनी ही वह आगे बढ़ जाती है, उसी प्रकार मानव बढ गए हैं और मानवता घट गई है, इस सब का कारण अध्यात्मिक ज्ञान की और न जाना है।
6. आध्यात्मिक ज्ञान से मनुष्य में दया, क्षमा, सहनशीलता, अहिंसा, सत्य, मैत्री भावना, पवित्रता, संतोष, सात्विकता, तप, स्वाध्याय और ईश्वर को खोजने में आसानी हो जाती है जो मनुष्य पुस्तकों से और धन से नहीं प्राप्त कर सकता।
7. आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव से यह धरती नरक बन गई है और इसके लिए प्रत्येक को सभी आयु वर्ग में आध्यात्मिकता की ओर बढ़ना आवश्यक है।
8. आज के समय में जैसे ही समाचार पत्र खोलते हैं या दूरदर्शन समाचार देखते हैं तो अधिकतर खबरें चोरी, ठगी, ढोंग, पाखंड, अपहरण, अत्याचार और आतंक से जुड़ी होते हैं और इस सब का कारण आध्यात्मिकता से दूरी है।
9. निष्कर्ष यह है कि प्रत्येक आयु के प्रत्येक व्यक्ति के लिए शांति और समृद्धि दोनों के लिए अध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता है।
दलीप सिंह एडवोकेट