आज सुबह से ही दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की तरफ़ से मैसेज आ रहे थे। मेरी उनके मसले पर कोई राय नहीं है। छात्रों का कहना है कि कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं मगर कोई सुन नहीं रहा है। अब इस पोस्ट को देखकर अलग अलग राज्यों से मुझे मैसेज न करें। मेरा मन कि किस पर लिखूँगा और किस पर नहीं। यह फ़्री सेवा है। जो मैं अपने समय से समय निकाल कर करता हूँ। मेरे समय का आदर करें। मैं न तो भारत के सभी प्रदर्शनों पर पोस्ट लिख सकता हूँ और न कवर कर सकता हूँ। अगर आपको लगता है कि कुछ का नहीं किया है तो आप लिखें, आप कवर करें। मैं जो भी दिखाता हूँ उसका भी कुछ नहीं होता है। आप जो चीज़ दिखाने के लिए कहते हैं वह भी अख़बारों में छपा ही होता है तो छपने से भी कुछ नहीं होता। अपवाद को छोड़ कर।इसलिए भी दिखाने में कोई दिलचस्पी नहीं रही। इतनी सी बात न समझ पाएँ तो कोई बात नहीं।
दिल्ली विश्वविद्यालय से अपील करता हूँ कि छात्रों की माँग पर विचार करें और उनसे बात कर अंतिम फ़ैसला बता दें। छात्रों को परेशान रखने से क्या फ़ायदा। क्या दिल्ली विश्वविद्यालय से कोई इसे पढ़ेगा भी?
छात्रों का पत्र-
दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी मनमानी कर रहा हैं , हमारा 70 से 75 प्रतिशत कोर्स ऑनलाइन क्लासेज में पीडीएफ रीड करके kava दिया और वो भी फिजिक्स, केमिस्टरी एवम मैथ्स जैसे विषयों को और जब से कॉलेज खुले है हमारी मात्र 10 क्लास ऑफलाइन mode में हुई हैं ,अब ये हमारी ऑफलाइन एग्जाम ले रहे है
हम ने बार बार विश्विद्यालय को इस बारे में अवगत करा दिया है , पिछले 2 महीनों से हम लगातार बात कर रहे है , आंदोलन कर रहे है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रहे हैं कैंपस के अंदर पुलिस को बेझकर स्टूडेंट्स को डराया जा रहा है, बच्चों को पीटा जा रहा हैं ,तमाम बच्चे बहुत ज्यादा परेशान है , आन्दोलन को हम सब छात्र लीड कर रहे है , इन लोगो ने हमारे 10 छात्रों पर FIR लगवा दी हैं , जिससे उनका करियर खराब किया जा सके , और भविष्य मैं कभी कोई इनके खिलाफ आवाज न उठा सके ,
हमारे कई छात्र हंगर स्ट्राइक pr bethe हुए हैं , जिनकी कोई परवाह nhi hai du को
मुकदमे लगने से आहत 3 विद्यार्थी,