दिल्ली: निजामुद्दीन स्थित मरकज के प्रमुख मौलाना साद के जिस ऑडियो क्लिप को लेकर तबलीगी जमात के लोगों को बदनाम किया गया, वो फर्जी निकला है। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि ऑॅडियो शायद एडिट्स की है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने पाया कि मौलाना साद की जिस ऑडियो क्लिप का FIR में ज़िक्र है, वो अलग-अलग ऑडियो फ़ाइल के हिस्सों को साथ जोड़कर बनाई गई है। दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद और उनके 6 साथियों पर IPC की धारा 304 लगाई थी।
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बीते दिनों मौलाना साद का एक ऑडियो क्लिप सामने आया था, जिसे मीडिया में जमकर चलाया गया था। इसी ऑडियो के आधार पर मीडिया ने तब्लीगी जमात के लोगों को कटघरे में खड़ा किया था।
दरअसल इस ऑडियो क्लिप में मौलाना साद जमातियों से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं करने की अपील करते सुनाई दे रहे थे।
अब इस ऑडियो के फर्जी पाए जाने पर मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने कहा कि अब जब ऑडियो फर्जी पाया गया है तो मीडिया की भूमिका की जांच भी ज़रूर होनी चाहिए।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “सवाल उठता है कि मौलाना साद का वह फर्जी ऑडियो क्लिप किसने बनाया? चैनलों तक उसे किसने पहुँचाया? चैनलों ने बिना जाँच किए उसे क्यों चलाया? तबलीग के ख़िलाफ़ वह ऑडियो क्लिप एकमात्र सबूत है।
उसके फ़र्ज़ी साबित होने के बाद अब चैनलों की भूमिका की भी जाँच होनी चाहिये।”
मौलाना साद के जिस ऑडियो क्लिप के सहारे चैनलों ने बताया था कि तबलीग वाले सोशल डिस्टेंसिंग के ख़िलाफ़ हैं, वह क्लिप फ़र्ज़ी। तबलीग ने ऐसा कभी कहा ही नहीं।
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सवाल उठता है कि मौलाना साद का वह फर्जी ऑडियो क्लिप किसने बनाया? चैनलों तक उसे किसने पहुँचाया? चैनलों ने बिना जाँच किए उसे क्यों चलाया गया ?
तबलीग के ख़िलाफ़ वह ऑडियो क्लिप एकमात्र सबूत है। उसके फ़र्ज़ी साबित होने के बाद अब चैनलों की भूमिका की भी जाँच होनी चाहिये।