रायबरेली की राजनीति और दबंगई में पिछले तीन दशक से बेताज बादशाह रहे अखिलेश सिंह ने हर तरह की लहर, दांव और सियासत को अपने सामने बौना साबित कर दिया था। मंगलवार की सुबह अखिलेश सिंह का लखनऊ के पीजीआई में निधन हो गया। वो लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे।
बता दें कि एक समय था जब गरीब आदमी को अखिलेश सिंह से पनाह में रहम और राहत मिलती दिखती थी तो दूसरी तरफ शहर के सभ्य, शिक्षित और पैसे वाले इस नाम से खौफ खाते थे। सुभाष चंद्र बोस को वह अपना आदर्श मानते थे। ये मानते थे कि सुभाष चंद्र बोस की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी वह अब भी जिंदा हैं। इसके लिए उन्होंने विधानसभा तक में आवाज उठाई थी।
यूं तो सियासत में रायबरेली की पहचान गांधी परिवार के गढ़ के तौर पर है लेकिन रायबरेली में ही पूर्व विधायक अखिलेश सिंह की हनक गांधी परिवार से ज्यादा मानी जाती रही है,सरकार किसी की भी सूबे में हो, अखिलेश सिंह के कद को कोई छोटा नहीं कर पाया, हालांकि अखिलेश सिंह की छवि एक बाहुबली की रही थी, उन पर कई मामले भी दर्ज थे, इसके बाद भी लोग उन्हें पसंद करते थे।
अखिलेश सिंह ने 90 के दशक में अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की और विधायक बने लेकिन कांग्रेस पार्टी से विवाद के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी और फिर निर्दलीय विधायक बने, साल 2011 में पीस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने और 2012 में पार्टी के विधायक बने, साल 2016 से विधायक ने अपनी बेटी अदिति सिंह को कांग्रेस में शामिल करवाया और 2017 के चुनावों में बेटी को सबसे ज्यादा वोटों से जितवा कर रिकॉर्ड कायम किया।
अखिलेश सिंह 13 साल तक कांग्रेस से अलग रहे, 1999 में जब कैप्टन सतीष शर्मा रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने आए तो अखिलेश सिंह के विरोध से उनकी नींद हराम हो गई थी, साल 2002 में राकेश पांडेय की हत्या के बाद अखिलेश सिंह को कांग्रेस से बाहर कर दिया गया था। कांग्रेस नेताओं ने अखिलेश को हराने के लिए सत्ता और धन सबका इस्तेमाल किया, लेकिन अखिलेश सिंह जेल में रहते हुए भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत गए, वे करीब 24 साल तक रायबरेली सदर सीट से विधायक रहे।
रायबरेली भले ही कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है लेकिन जब विधायक अखिलेश सिंह ने पार्टी छोड़ी तो रायबरेली सदर विधानसभा सीट से उनके अलावा कोई दूसरी पार्टी का नेता जीत नहीं सका। साल 2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी की बड़ी जीत में अखिलेश सिंह की बेटी और कांग्रेस विधायक अदिति सिंह का बहुत बड़ा हाथ माना गया था।