अगर तारिक अली की मानी जाए तो डॉटर ऑफ़ द ईस्ट के नाम से अपनी आत्मकथा लिखने वाली बेनज़ीर भुट्टो वास्तव में डॉटर ऑफ़ द वेस्ट थीं. एक और इतिहासकार इयान बरूमा लिखते है, बेनज़ीर ने दो ज़िंदगियां जी थीं, लरकाना भुट्टो और रेडक्लिफ भुट्टो.. एक किस्सा सुनिए…
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बेनज़ीर भुट्टो से यासिर अराफ़ात की बहुत नज़दीकी थी. एक बार दोनों के बीच मज़ेदार वाकया हुआ. जब बेनज़ीर प्रधानमंत्री बनीं तो उन्होंने अपने चीफ़ ऑफ़ प्रोटोकॉल अरशद समी ख़ाँ से कहा कि ये ख़्याल रखिएगा कि मैं किसी पुरुष नेता से हाथ नहीं मिलाती. इस बीच अराफ़ात का कराची आना हुआ और बेनज़ीर उनकी अगवानी करने हवाई अड्डे गईं.
अरशद समी ख़ाँ अपनी आत्मकथा, ‘थ्री प्रेसिडेंट्स एंड एन एड’ में लिखते हैं, “चीफ़ ऑफ़ प्रोटेकॉल की ज़िम्मेदारी होती है कि वो विमान के अंदर जा कर विदेश से आए मेहमान का स्वागत करता है. मैं अराफ़ात के विमान की सीढ़ियाँ चढ़ ही रहा था कि बेनज़ीर ने मुझे बुला कर मेरे कान में फुसपफुसाया.
‘अराफ़ात को याद दिलाना मत भूलना कि मैं पुरुषों से हाथ नहीं मिलाती.’ जैसे ही अराफ़ात मिले, मैंने उनसे कहा, ‘एक्सिलेंसी, बेनज़ीर भुट्टो आपका स्वागत करने के लिए नीचे खड़ी हैं. आपको बस याद दिला दूँ कि वो पुरुषों से हाथ नहीं मिलाती. अराफ़ात ने कहा, हाँ, हाँ, हाँ… मुझे इस बारे में कई बार बताया गया है. बहरहाल याद दिलाने के लिए शुक्रिया.”
अरशद समी आगे लिखते हैं, “जैसे ही अराफ़ात नीचे उतरे, मैं देखता क्या हूँ कि उन्होंने बेनज़ीर से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया. बेनज़ीर ने घूर कर मेरी तरफ़ देखा और झिझकते हुए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया. अभी हम लोग चल ही रहे थे कि उन्होंने मुझसे फुसफुसा कर उर्दू में कहा ताकि अराफ़ात समझ न पाएं, ‘आपने उन्हें बताया नहीं कि मैं मर्दों से हाथ नहीं मिलाती.’ ”
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“इससे पहले कि मैं जवाब देता, अराफ़ात ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, ‘शुक्र मनाइए मोहतरमा कि मैंने आपका चुंबन नहीं लिया. ये एक अरबी रस्म है कि जो भी मेरा स्वागत करने आता है, मैं उसके गाल चूमता हूँ, एक बार नहीं, दो बार, दोनों गालों पर.’ हम तीनों ने ठहाका लगाया और सलामी मंच की तरफ़ बढ़ गए.”
रेहान फ़ज़ल