उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोकतंत्र में विपरीत मत और विरोध को अनिवार्य अधिकार बताते हुए कहा है कि विरोध जताने के लिए कागज फाड़ना ‘राष्ट्रीय क्षति’ है, क्योंकि विरोध के इस तरीके से लोगों में गलत संदेश जाता है। नायडू ने मंगलवार को एक कार्यक्रम करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली में विरोध दर्ज कराने के कारगर उपाय मौजूद हैं लेकिन इन उपायों से इतर तरीके अपनाना उचित नहीं है।
केंद्र सरकार के इस बिल के पास होने से विपक्ष में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन चीफ असदुद्दीन ओवैसी लंबे अरसे से इस विधेयक का विरोध करते आए हैं, साथ ही कई मौकों पर इस बिल को धार्मिक आधार पर विभाजन करने वाला बता चुके हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा मेरे अमित शाह कहते हैं कि यह विधेयक भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। उनके आपने नेता हेमंत बिस्वा कहते हैं कि नागरिकता बिल हिंदुओं की रक्षा करेगा वहीं मुस्लिमों को विदेशी ट्रिब्यूनल जाना होगा।
‘विधेयक लाकर जिन्ना को जीवित कर रही सरकार’
ओवैसी ने कहा कि केंद्र सरकार नागरिकता विधेयक लाकर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को दोबारा जिंदा करना चाहती है। जिन्ना के कारण ही आजादी के बाद भारत का बंटवारा हुआ। अगर यह बिल संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाता है, तो भी मैं हर दरवाजे पर जाकर इसके खिलाफ आवाज उठाऊंगा। उन्होंने कहा- आप क्या संदेश देना चाहते हैं? मुसलमान पहले से ही राजनीतिक तौर पर हाशिए पर थे, अब उन्हें बड़े पैमाने पर बाहर करने की तैयारी की जा रही है।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक के संसद से पारित होने को भारत और इसके करुणा तथा भाईचारे के मूल्यों के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया था। उन्होंने ट्वीट किया कि विधेयक वर्षों तक पीड़ा झेलने वाले अनेक लोगों के कष्टों को दूर करेगा। पीएम मोदी ने राज्यसभा में विधेयक का समर्थन करने वाले सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया।