उत्तराखंड सरकार ब्रिटिशकाल के उन सभी सड़कों, स्थानों और भवनों के नाम बदलने की तैयारी में है, जो गुलामी के प्रतीक हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी विभागों को निर्देश भी दे दिए हैं कि जो भी गुलामी के पुराने प्रतीक हैं, उन्हें बदला जाए। उन्होंने इन प्रतीकों की रिपोर्ट भी मंगवाई है, जिनको हटाया जाएगा और प्रतीकों में बदलाव भी किया जाएगा।
बता दें कि प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से जिन पांच प्रणों की बात कही थी, उनमें गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति भी शामिल है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मुगल और ब्रिटिशकालीन प्रतीकों और स्थानों के नाम बदलने के अभियान पर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी ऐसे ही इरादे जता दिए हैं।
राज्य में लैंसडौन, मसूरी, देहरादून, नैनीताल, रानीखेत समेत विभिन्न शहरों व क्षेत्रों के साथ ही छावनी परिषदों के अंतर्गत सड़कों, स्थानों के नाम ब्रिटिशकालीन हैं, जिनमें अभी तक कोई बदलाव नहीं किया गया है, जबकि इनके पुराने अथवा नए नामकरण की बात समय-समय पर उठती रही है।
सीएम विभागों से मांगेंगे नामों की सूची
माना जा रहा है कि सूरजकुंड से लौटकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विभागों से सैन्य छावनियों से बाहर स्थानों, सड़कों या भवनों के ब्रिटिशकालीन नामों की सूची और उनके स्थान पर रखे जाने वाले नामों का ब्योरा मांग सकते हैं। पौड़ी जिले के इस खूबसूरत पहाड़ी नगर का नाम लैंसडौन रखे जाने से पहले कालौं का डांडा था। स्थानीय लोग लंबे समय से लैंसडौन का नाम कालौं का डांडा रखने की मांग कर रहे हैं।